Home Headlines शारदीय नवरात्रे 13 से, अभिजित मुहूर्त में घट स्थापना

शारदीय नवरात्रे 13 से, अभिजित मुहूर्त में घट स्थापना

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शारदीय नवरात्रे 13 से, अभिजित मुहूर्त में घट स्थापना
sharad navratri festival from october 13
sharad navratri festival from october 13

अलवर। आश्विन कृष्ण-पक्ष देव पितृ कार्य सवोपितृ श्राद्ध के साथ ही सोमवती अमावस्या 12 अक्टूबर सोमवार को श्राद्ध-पक्ष का समापन हो जायेगा।

मेहताब सिंह का नौहरा निवासी पंडित यज्ञदत्त शर्मा ने बताया कि श्राद्ध-पक्ष की अमावस्या को भूले-बिसरे पितरों का श्राद्ध निकालकर ब्राह्मामणियों व कंवारे ब्राह्मण के लडके को भोजन कराकर उन्हें वस्त्र, दक्षिणा देकर विदा किया जाता है। श्राद्ध पक्ष के समापन के साथ ही आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 13 अक्टूबर मंगलवार से शादीय नवरात्रे प्रारंभ हो जाएंगे।


घट स्थापना मुहूर्तः पंडित यज्ञदत्त शर्मा के अनुसार घट स्थापना देवी जी का आह्वान व पूजन के समय चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग को निषध माना है, चूंकि इस दिन चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग संपूर्ण दिन विद्यमान रहेंगे। इसलिए 13 अक्टूबर मंगलवार को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को दोहपर 11 बजकर 51 मिनट से 12 बजकर 37 मिनट तक अभिजित मुहूर्त में ही घट स्थापना का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा।


नौ दिनों तक होगी मां भगवती की पूजा: सोमवती अमावस्या के दिन श्राद्ध समापन के बाद मंगलवार आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शक्ति की देवी मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए नवरात्र शुरू होंगे। इस बार नौ दिनों तक शक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी। जिसकी तैयारी मंदिरों में पंडितों ने शुरू कर दी है।

वहीं सोमवती अमावस्या को मालाखेडा में बाजार बंद रहने के कारण रविवार को ही श्रद्धालु नवरात्र की पूजा-अर्चना के लिए सामग्री खरीदने के लिए बाजार में पहुंचे। मां शक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना नवरात्र में की जाएगी।

इस बार नवरात्रे 13 अक्टूबर से शुरू होंगे। जिसकी तैयारी मंदिरों में मां की मूर्ति की साफ-सफाई करने में पुजारी जुटे हुए है। घट स्थापना के लिए 13 अक्टूबर को सुबह 11 बजे से दोपहर 12.37 बजे तक अभिजित मुहूत्र्त आचार्य ने बताया है। वहीं 22 अक्टूबर को विजयादशमी का त्यौहार मनाया जायेगा।

मालाखेडा कस्बे में दुर्गा पूजा की सामग्री की बिक्री जारों से होने लगी है। नारियल, चुनरी, मखाने, पताशे, धूप-दीप के पैकिट बनाये गये है।

आचार्य प्रभुदयाल मिश्रा ने बताया कि प्रथम दिन शैलपुत्री, दूसरी दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्र घण्टा, चौथे दिन कुष्माण्डा देवी, पांचवें दिन स्कंध माता, छठे दिन कात्यायनी देवी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी एवं नौवें दिन सिद्धि रात्रि देवी  की पूजा अर्चना की जाएगी।