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पटना में भगदड़ ने छीन ली कई बच्चों की मां

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पटना। पटना के गांधी मैदान के निकट मची भगदड़ के बाद अपनों की तलाश में भटकते बदहवास लोग कभी अस्पताल तो कभी अंधेरे में डूबे गांधी मैदान की खाक छानते रहे। हादसे में करीब 27 महिलाएं और 5 पुरूषों की मौत हुई है। इनमें 10 बच्चे भी शामिल हैं।

भगदड़ के घंटों बाद लोग अपने बच्चे तो कोई अपनी मां तो कोई अपने अन्य रिश्तेदारों की तलाश में गांधी मैदान से पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल और फिर वहां से गांधी मैदान के चक्कर काटते रहे। बदहवास लोग एक दूसरे से अपने बच्चों या रिश्तेदारों के बारे में कपड़ों का रंग बताकर पूछते रहे लेकिन उन्हें कोई उत्तर नहीं मिल रहा था। उधर, तमाशबीनों की भीड़ भी उनकी मुश्किलें बढ़ा रही थी।

गांधी मैदान के दक्षिणी छोर पर एक्जीविशन रोड को जाने वाली सड़क के सामने ठीक रामगुलाम चौक के पास सैकड़ों बिखरे चप्पल और छोटे बच्चे के दूध का बोतल इस बात का प्रमाण है कि एक अफवाह से डरे लोगों ने किस तरह अपनी जान बचाने के लिए दूसरों को पैरो से रौंद दिया। इनमें छोटे बच्चे और महिलाओं के चप्पल ज्यादा है जो यह बताता है कि इस हादसे के शिकार सबसे ज्यादा वे ही हुए हैं।

लालजी टोला की रूबी देवी अपने परिवार के साथ रावण वध देखने आई थी और लौटते समय मची भगदड़ में उसका हाथ अपने 8 वर्षीय बच्चे से छूट गया। रूबी रोते बिलखते कभी पीएमसीएच तो कभी गांधी मैदान आकर अपने बच्चे मनमोहन को खोज रही है। वहां वह लोगों से बताती है कि उसका बच्चा उजला रंग का कपड़ा पहना था क्या किसी ने उसे देखा है लेकिन उसे कोई उत्तर नहीं मिलता। उसका रो रोकर बुरा हाल हो रहा था, जब कभी वह रोते रोते बेहास हो जाती तो उसके परिजन उसे संभाल रहे थे।

ठीक इसी तरह का हाल चीनाकोठी की रेखा देवी का है। वह अपने 12 वर्षीय पुत्र छोटू कुमार को ढ़ूंढ रही है। रेखा के परिजन उसे संभालने की कोशिश करते नजर आए। इसी तरह करबिगहिया के नीरज कुमार अपनी 42 वर्षीय मां की तलाश में भटक रहा है। वह अपनी मां की तस्वीर दिखा कर लोगों से उसके बारे में पूछ रहा है। पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बाहर लोगों की भारी भीड़ को देखकर पुलिस के जवान तैनात कर दिए गए थे। उन्हें शायद यह आदेश दिया गया था कि किसी को भी अस्पताल के अंदर जाने नही दिया जाए। इस वजह से हादसे के शिकार लोगों के परिजन भी अपनों का हाल जानने के लिए अस्पताल के अंदर नही जा पा रहे थे। इससे उनकी बेचैनी काफी बढ़ी हुई थी।

बदहवास लोग को यह पता नहीं है कि उनके परिजन कुशल है या नहीं। लोगों का सब्र कई बार टूट जाता था और लोग पुलिस से हाथापाई करने के लिए भी तैयार हो जाते तो कभी हाथ जोड़कर उनसे आग्रह कर रहे थे कि उन्हें उनके परिजनों से मिलने दे। करीब साढे दस बजे स्थिति बेहद तनावपूर्ण देखकर अस्पताल की ओर से एक अधिकारी ने बाहर आ कर लाउडस्पीकर के जरिये उन घायलों के नामों की जानकारी दी जिनका इलाज अस्पताल में चल रहा है। इसके बाद उन लोगों के परिजनों ने राहत की सांस ली जिनके नाम घायलों की सूची में शामिल थे लेकिन उनकी स्थिति और भी खराब हो गई जिनके नाम नहीं पुकारे गए थे।

लोगों ने अस्पताल प्रशासन से इस हादसे में मारे गए लोगों की सूची भी जारी करने की मांग की। इस बीच हादसे के वक्त वहां उपस्थित लोगों ने राज्य सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि गांधी मैदान के नौ में से सिर्फ तीन गेट ही खोलकर रखे गए थे। इस बीच रावण वध देखकर लौट रही भीड़ में ही शामिल दो युवकों ने अफवाह फैला दी कि बिजली का तार टूटकर गिर गया है। इसके बाद भगदड़ मच गई और लोग अपनी जान बचाने की कोशिश में एक ही गेट से भागने लगे। इस हादसे में 32 लोगों की मौत हुई जबकि 50 से अधिक लोग घायल हुए हैं।