Home Breaking सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को दिया मेडिकल बोर्ड के गठन का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को दिया मेडिकल बोर्ड के गठन का आदेश

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सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को दिया मेडिकल बोर्ड के गठन का आदेश
supreme court orders medical board in abnormal foetus case
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मुंबई। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को आदेश दिया है कि वह केईएम मेडिकल कॉलेज में एक मेडिकल बोर्ड का गठन करके महिला की जांच कर पता लगाए की क्या वाकई भ्रूण असाधारण है?

इस मामले में महाराष्ट्र सरकार को सोमवार तक जांच रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। उल्लेखनीय है कि 24 हफ्ते के भ्रूण के गर्भपात की मांग करने वाली एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है, जिसकी सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उपरोक्त आदेश दिया है।

गौरतलब है कि खुद को बलात्कार पीडि़त बताने वाली महिला ने गर्भपात की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद इस मामले का फैसला किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाली महिला का कहना है कि उसका भ्रूण सामान्य नहीं है। आंतों की समस्या के साथ ही मस्तिष्क भी विकसित नहीं हो रहा है। बच्चे के पैदा होते ही मर जाने की आशंका है।

महिला ने 20 हफ्ते तक ही के गर्भपात की मंज़ूरी के कानून की समीक्षा की भी मांग की है। याचिका में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट की धारा 3(बी) को चुनौती दी गई है।

के मुताबिक 1971 में जब उपरोक्त संशोधन किया गया तो उसमें कहा गया है कि 20 हफ्ते के बाद गर्भपात नहीं कराया जा सकता है। जब ये कानून बना था तब भले ही इस धारा का औचित्य रहा हो, लेकिन आज इसका कोई औचित्य नहीं है क्योंकि ऐसी आधुनिक तकनीक मौजूद है जिससे 26 हफ्ते के बाद भी गर्भपात कराया जा सकता है।

याचिका में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट की धारा 5 की भी संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी गई है, अस्पतालों में डॉक्टर इस धारा का बेहद संकुचित मायने निकलते हैं।

याचिकाकर्ता ने मांग की है कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) कमेटी की रिपोर्ट को अदालत में पेश किया जाए। इस कमेटी में स्वास्थ्य सचिव, नरेश दयाल (पूर्व सचिव,आईसीएमआर) और डॉ एनके गांगुली शामिल हैं।

अब देखना है कि महाराष्ट्र सरकार मेडिकल बोर्ड का गठन करके आगे कौन सा कदम उठाती है। क्या बलात्कार पीडिताओं को न्याय मिल पाएगा? इस ओर सभी की निगाहें लगी हैं।