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बचाव का पर्याप्त मौका दिए बिना नहीं दी जा सकती फांसी

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बचाव का पर्याप्त मौका दिए बिना नहीं दी जा सकती फांसी
supreme court stays death warrants of couple who killed seven of a family
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नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि हत्या के उन दोषियों को पूर्व नोटिस तथा परिजनों से मिलने दिए बिना तत्काल फांसी के फंदे पर नहीं लटकाया जा सकता, जिन्हें किसी अदालत ने फांसी की सजा सुनाई हो। साथ ही इसने प्रेमी युगल को फांसी देने संबंधी ‘डेथ वारंट को निरस्त कर दिया।

न्यायाधीश एके सिकरी और न्यायाधीश उदय उमेश ललित की अवकाशकालीन खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश के अमरोहा के प्रेमी युगल -शबनम और सलीम- की याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि फांसी की सजा पाए अपराधियों के भी जीने के अधिकार को यों ही दरकिनार नहीं किया जा सकता।

supreme court stays death warrants of couple who killed seven of a family
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न्यायालय ने कहा कि ऐसे अपराधियों को नोटिस जारी किये तथा परिजनों से मिलने की अनुमति दिए बगैर फांसी पर नहीं लटकाया जा सकता। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि सरकारी अधिकारियों को तब तक ऐसे अपराधी को फांसी के फंदे से लटकाने की कवायद नहीं करनी चाहिए, जब तक जान बचाने के उसके सभी कानूनी उपाय समाप्त न हो जाएं।

खंडपीठ ने शबनम और उसके प्रेमी सलीम को फांसी पर लटकाने के लिए राज्य की सत्र अदालत द्वारा जारी किये गए ‘डेथ वारंट’ को निरस्त कर दिया। न्यायालय ने कहा कि जिस गति से ‘डेथ वारंट’ जारी किया गया, वह अनुचित था। न्यायाधीश सिकरी ने कहा कि अपराधी को न केवल फैसले की समीक्षा बल्कि राज्यपाल और राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने के लिए भी पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।

यह घटना 2008 में उत्तर प्रदेश में हुई थी। निचली अदालत ने 2010 में शबनम और सलीम को मौत की सजा सुनाई थी, जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2013 में बरकरार रखा था। शीर्ष अदालत ने गत एक मई को शबनम और सलीम को अपराधी करार दिया था और गत 15 मई को सुनाए अपने विस्तृत निर्णय में हाईकोर्ट द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था।

सत्र अदालत ने प्रेमी युगल को सुनाई गई मौत की सजा की तामील के लिए 21 मई को वारंट जारी कर दिया था, जिसके खिलाफ दोनों शीर्ष अदालत पहुंचे थे। उच्चतम न्यायालय ने गत 25 मई को डेथ वारंट पर रोक लगाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से दो दिन के भीतर जवाब तलब किया था और मामले की सुनवाई के लिए आज की तारीख मुकर्रर की थी।

सलीम और शबनम एक दूसरे से प्रेम करते थे और विवाह करना चाहते थे, लेकिन शबनम के परिवार ने इस रिश्ते पर कड़ा विरोध जताया था। 15 अप्रेल 2008 को 10 माह के बच्चे समेत शबनम के पूरे परिवार की हत्या कर दी गई थी और महिला ने शुरुआत में यह जाहिर किया कि उत्तर प्रदेश के अमरोहा स्थित उसके घर पर अज्ञात हमलावरों ने हमला किया था। बाद में यह पता चला कि उसने अपने परिवार के सदस्यों को दूध में नशीला पदार्थ मिलाकर पिलाया और सलीम के सहयोग से उनको मार डाला। इसके बाद उसने अपने 10 माह के भतीजे की गला घोंटकर हत्या कर दी थी।