Home Headlines तेलंगाना : सीएम की बेटी का बतकम्मा त्यौहार, पीवी सिंधू, सानिया ने की शिरकत

तेलंगाना : सीएम की बेटी का बतकम्मा त्यौहार, पीवी सिंधू, सानिया ने की शिरकत

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तेलंगाना : सीएम की बेटी का बतकम्मा त्यौहार, पीवी सिंधू, सानिया ने की शिरकत
Telangana CM's daughter Kavitha preparation Bangaru Bathukamma festival
Telangana CM's daughter Kavitha  preparation Bangaru Bathukamma festival
Telangana CM’s daughter Kavitha preparation Bangaru Bathukamma festival

हैदराबाद। तेलंगाना सरकार ने बतकम्मा त्यौहार में विश्व रिकार्ड बनाने का दावा किया है। करोड़ों रुपये खर्च करके मनाए गए इस त्यौहार में हैदराबाद के लालबहादुर स्टेडियम में भव्य कार्यक्रम में करीब 10 हजार महिलाओं ने हिस्सा लिया।

हैदराबाद में टीआरएस सांसद के. कविथा ने मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित कार्यक्रम में बतक्कमा खेला। टेनिस खिला़ड़ी सानिया मिर्जा, पीवी सिंधू भी इस फेस्टिवल में मौजूद रहीं।

बतकम्मा पंडुगा दशहरा के समय मनाया जाता है। पंडुगा का अर्थ है त्यौहार। वास्तव में यह शब्द है – बतुकम्मा … यह दो शब्दों की संधि है – बतुक + अम्मा … बतुक का अर्थ है जीवन और अम्मा शब्द देवी मां के लिए है … कुल अर्थ हुआ जीवन दायिनी या जीवन की रक्षा करने वाली मां … बतुकम्मा को अक्सर बतकम्मा ही कहा जाता है।

भाद्रपद मास की समाप्ति की अमावस से शुरू होता है जिसे बङी अमावस कहते हैं। यही दिन पितृ पक्ष की समाप्ति का होता है। अगले दिन से शुरू होती है नवरात्रि और नौ दिन के बाद दशहरा। यह मुख्य रूप से गांवों में धूमधाम से मनाया जाता है। बारिश की समाप्ति के बाद सभी देवी मां को जीवन की रक्षा के लिए धन्यवाद देते हैं और उत्सव मनाते है।

अब सिर्फ शहर ही नहीं मनाते बल्कि विदेश में भी तेलंगाना प्रनत से जुटे लोग की संस्कृति के अभिन्न अंग के रूप में इसकी मान्यता है और लन्दन और ऑस्ट्रेलिया में भी बनाया जाता है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की पुत्री कविता जो लोकसभा सांसद है स्वयं ऑस्ट्रेलिया पहुंची।

बतुक्कम महालय अमावस्या को आरम्भ होता है और दुर्गाष्टमी को समाप्त होता है। बतुक्कम के पश्चात सात-दिवसीय पर्व ‘बोडेम्मा’ मनाया जाता है जो वर्षा ऋतु की समाप्ति का सूचक है। हैदराबाद समेत प्रदेश के हर शहर और गांव में महिलाओं ने धूमधाम से बतुक्कम खेल की इस बार शुरुआत की।

यह महोत्सव कम पिछड़ी जातियां की महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह चांद्र मास के पहले दिन पर अस्वयुजा से शुरु होता है और महामवामी दशहरा से एक दिन पहले समाप्त होता है और दुर्गाष्टमी के रूप में बुलाया जाता है।

बठुकम्मा एक सुंदर फूल ढेर, सात परतों में मौसमी फूलों के साथ गाढ़ा करने की व्यवस्था है। इसमें गौरी देवी के रूप में चिह्नित की महिमा के लिए मनाया जाता है।

इस दिन हर घर की स्त्री स्नान कर के पारंपरिक रेशम साड़ियां पहनती है और गहने पहनने के बाद विभिन्न रंगों के फूल जैसे गुनुका, तन्गेदी, कमल, अल्ली, कतला , को एक स्तूप के आकार में विभिन्न प्रकार की के नरकट या बांस या पीतल की थाली और हल्दी में शीर्ष देवी लक्ष्मी पर स्थापित करती हैं।

पूजा के बाद यह एक कमरे के एक कोने में रखा जाता है। शाम में समय सभी महिलाओं उनके इलाके में अपने बठुकम्मस के साथ इकट्ठा और सभी बठुकम्मस को बीच में एक जगह रख कर उनके आसपास नृत्य करती है, एक सुर में और कदम और तालियों के तुल्यकालन और आत्मा गायन बठुकम्मा लोक गीतों को सरगर्मी से गाती हैं।

महिला उनके बठुकम्मस के आसपास नृत्य करती हैं और नृत्य करते हुए बठुकम्मस को पास की एक झील या तालाब की और ले जाती है और कुछ और समय के गायन और नृत्य के बाद पानी में अपने आप को ले जाती है। यह त्योहार नौ दिनों तक चलता है और त्योहार के अंतिम दिन को चाद्दुला बताकम्मा कहा जाता है।