Home Health यह बीमारी हैं जानलेवा, बचने के लिए जाने कारण लक्षण और उपाय

यह बीमारी हैं जानलेवा, बचने के लिए जाने कारण लक्षण और उपाय

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यह बीमारी हैं जानलेवा, बचने के लिए जाने कारण लक्षण और उपाय
This disease is known to be known to avoid deadly symptoms and remedies.

रोग कोई भी हो बड़ा या छोटा पर होता रोग ही हैँ, अगर टाइम पे उससे बचने के लिए बीमारी के असली कारण, सटीक लक्षण और  टी.बी. यानि क्षय रोग भी एक गंभीर किस्म का रोग है, हम आप के लिए इससे बचने के लिए आपको इसके कारण, लक्षण बताएँगे जिसे यूज़ कर के आप को राहत ही नहीं बल्कि फायदा भी होगा ।

 

This disease is known to be known to avoid deadly symptoms and remedies.

This disease is known to be known to avoid deadly symptoms and remedies.

जानिए टी.बी. रोग के कारण:-
* टी.बी. रोग के यूं तो कई कारण हैं, प्रमुख कारण निर्धनता, गरीबी के कारण अपर्याप्त व पौष्टिकता से कम भोजन, कम जगह में बहुत लोगों का रहना, स्वच्छता का अभाव तथा गाय का कच्चा दूध ।

* जिस व्यक्ति को टी.बी. है, उसके संपर्क में रहने से, उसकी वस्तुओं का सेवन करने, प्रयोग करने से।
* टी.बी. के मरीज द्वारा यहां-वहां थूक देने से इसके विषाणु उड़कर स्वस्थ व्यक्ति पर आक्रमण कर देते हैं।
*मदिरापान तथा धूम्रपान करने से भी इस रोग की चपेट में आया जा सकता है। साथ ही स्लेट फेक्टरी में काम करने वाले मजदूरों को भी इसका खतरा रहता है।
जानिए टी.बी. रोग के लक्षण:-

* भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना।

* बेचैनी एवं सुस्ती छाई रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट रहना व रात में पसीना आना।

* हलका बुखार रहना, हरारत रहना।
खांसी आती रहना, खांसी में बलगम आना तथा बलगम में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ     जाना।

* गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना।

* गहरी सांस लेने में सीने में दर्द…
महिलाओं को टेम्प्रेचर के साथ गर्दन जकड़ना, आंखें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के      लक्षण हैं

* पेट की टी.बी. में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं।

* टी.बी. न्यूमोनिया के लक्षण में तेज बुखार, खांसी व छाती में दर्द होता है।
   जानिए टी.बी. का उपचार:-

* टी.बी. के उपचार की शुरुआत सीने का एक्स-रे लेकर तथा थूक या बलगम की लेबोरेटरी जांच कर की जाती है।
* आजकल टी.बी. के उपचार के लिए अलग-अलग एंटीबायोटिक्स/एंटीबेक्टेरियल्स दवाओं का एक साथ प्रयोग किया       जाता है। यह उपचार लगातार बिना नागा 6 से 9 महीने तक चलता है।  इस रोग की दवा लेने में अनियमितता बरतने     पर, इसके बैक्टीरिया में दवाई के प्रति प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न हो जाती है। इससे बैक्टीरियाओं पर फिर दवा का असर     नहीं होता। यह स्थिति रोगी के लिए खतरनाक होती है।
* उपचार के दौरान रोगी को पौष्टिक आहार मिले, वह शराब-सिगरेट आदि से दूर रहे।
*बच्चों को टी.बी. से बचने के लिए बी.सी.जी. का टीका जन्म के तुरंत बाद लगाया जाता है। अब ये माना जाने लगा है     कि बीसीजी के टीके की इसमें कोई भूमिका नहीं है।
* टीबी की रोकथाम के लिए मरीज के परिवारजनों को भी दवा दी जाती है, ताकि मरीज का इंफेक्शन बाकी सदस्यों को     न लगे जैसे पत्नी, बच्चे व बुजुर्ग आदि। इसके लिए उन्हें आइसोनेक्स की गोली तीन माह तक दी जाती है।

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