Home Gujarat Ahmedabad नर्मदा नदी को जीवंत बनाने के लिए नर्मदा बांध से छोड़ा जाने लगा पानी

नर्मदा नदी को जीवंत बनाने के लिए नर्मदा बांध से छोड़ा जाने लगा पानी

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नर्मदा नदी को जीवंत बनाने के लिए नर्मदा बांध से छोड़ा जाने लगा पानी
water released from Narmada dam to narmada river in bharuch
water released from Narmada dam to narmada river in bharuch
water released from Narmada dam to narmada river in bharuch

भरुच। राज्य की जीवन रेखा माने जाने वाली पवित्र पावनी नर्मदा नदी के जीवन को बचाने व उसे सूखने से रोकने के लिए राज्य के जीवनरेखा सरदार सरोवर नर्मदा बांध केवडिया से नर्मदा नदी में बुधवार से पानी छोडऩा शुरु कर दिया गया। सरदार सरोवर नर्मदा बांध से छोड़े जाने पानी के भरुच में 9 से 10 घंटे के बाद पहुंचने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

केवडिया कालोनी के पास स्थित सरदार सरोवर नर्मदा बांध का जलस्तर बुधवार को 120.39 मीटर दर्ज किया गया। बांध ओवर?लो होने से मात्र 1.53 मीटर की दूरी पर रहा। नर्मदा निगम प्रशासन की ओर से कैनाल हेड पाँवर हाउस के दो यूनिट को जलस्तर बढऩे पर चालू कर बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। बांध प्रशासन की ओर से फिलहाल रिवरबेड पाँवर हाउस को बंद रखा गया है।

नर्मदा नदी को भरुच में सूखने से बचाने के लिए राज्य सरकार की ओर से नर्मदा बांध में पानी छोडऩे के लिए बुधवार को आदेश सरदार सरोवर नर्मदा निगम को दिया गया। इसके बाद बांध प्रशासन की ओर से नर्मदा नदी में पानी छोडऩा शुरु कर दिया गया। बुधवार की रात तक पानी के भरुच में पहुँच जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। नर्मदा नदी को बचाने के लिए लोगो की ओर से लगातार गुहार लगाई जा रही थी। पानी आने के बाद नदी के लबालब होने से लोगो को राहत होगी।

नदी में पानी कम होने से उत्पन्न हो गई थी कई समस्या

नर्मदा नदी के सूखने की कगार पर पहुंच जाने से भरुच जिले में कई समस्या उत्पन्न हो गई थी। सामाजिक अग्रणी शब्बीर भाई चोकवाला ने कहा कि नदी के अस्तित्व के सामने पानी कम होने से जहाँ खतरा मंडरा रहा था वही भाड़भूत से झनोर व सामने की ओर अंकलेश्वर से झगडिया तक लाखो हेक्टेयर जमीन क्षारीयता के कारण बंजर हो गई है। इसके साथ ही साथ मत्स्य क्षेत्र को संपूर्ण रुप से नाश हो गया।

भूमिगत जलस्तर के खारा हो जाने से पूरे इलाके में वाटर टीडीएस की मात्रा 2500 से 5000 तक हो जाने से पीने के लिए मीठा पानी गायब हो गया था। नदी किनारे बसे भरुच के लोगो को अनिवार्य रुप से पीने का मीठा पानी हासिल करने के लिए आरओ प्लांट को लगाना पड़ गया। हाईली टीडीएस वाले पानी को पीकर भरुच के लोग अनेक बीमारियों का शिकार बन चुके हैं। करोडों रुपए की खेती खत्म हो चुकी है। लाखों रुपए का फिशरिंग बिजनेस नेस्तनाबूद हो गया है। शासन व प्रशासन की ओर से सिर्फ पिकनिक पोईन्ट बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है।

बरसात के सिवाय तो दिखता ही नहीं है नर्मदा का पानी

नर्मदा में नदी का पानी बरसाती सीजन के अलावा कभी होता ही नही है। नर्मदा नदी में लोगो को जो पानी दिखता है वह दरिया का पानी होता है व लोग इसे नर्मदा का पानी समझने की भूल करते हैं। भाड़भूत के पास वीयर कम कोजवे को सैध्दिातिंक मंजूरी वर्ष 2012-13 में तत्कालीन विधायक रमेश मिस्त्री के समय में ही मिल गई थी। भरुच के नेताओ में कोई ताकत नही थी कि भरुच में इस गंभीर इश्यू पर ठोस कदम उठा सके। नर्मदा नदी में यह समस्या पिछले पंद्रह साल से चल रही है मगर किसी ने भी इस पर कोई ध्यान नही दिया। जनता ने काफी कुछ गंवा दिया है जिसकी भरपाई अब नही हो सकती है।