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प्यारे बच्चे, अंगूठा नहीं चूसते!

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प्यारे बच्चे, अंगूठा नहीं चूसते!

छुटपन में अंगूठा चूसना बच्चों कि सामान्य आदत में शुमार होता है। लेकिन अगर वक्त रहते इसे रोका और ठोका नहीं जाए तो एक छोटी आदत बहुत बड़ी समस्या बन जाती है।

हालांकि कभी यह बच्चे की भूख का संकेत होती है तो कभी बच्चा ऐसा करने में आराम महसूस करता है। असल में अंगूठा चूसने से एंडोफिन्स नाम के द्रव्य का निर्माण होता है, जिससे शिशु का दिमाग शांत हो जाता है और उसे जल्द नींद आती है। लेकिन माता-पिता की चिंता भी जायज है, क्योंकि अंगूठा चूसने के कारण ऊपरी दांत की हड्डी बाहर की ओर उभर आती है। यहां तक कि जुबान को बार-बार बाहर धकेलने की वजह से बच्चे के दांत भी टेढ़े हो जाते हैं। वहीं जब दूध के दांत सही समय पर नहीं गिरते या समय से पहले गिर जाते हैं या जबड़े में कोई समस्या होती है तब भी बच्चा अंगूठा चूसता है। कई बार लगातार अंगूठा चूसते रहने की वजह से नाखून की गंदगी पेट में चली जाती है और शिशु बीमार भी हो सकता है।

आखिर क्यों चूसते हैं बच्चे अंगूठा?

जब बच्चे को भूख लगती है तो वह अपने हाथ-पैर हिलाता है, इसी दौरान अंगूठा उसके मुंह में चला जाता है, जिसे वह स्तन या निप्पल समझकर चूसना शुरू कर देता है। यह इस बात का संकेत भी है कि उसका पेट नहीं भरा है। छह माह तक के बच्चे भूख लगने पर अंगूठा चूसते हैं।

पर अगर वह पेट भरने के बाद भी अंगूठा मुंह में डाल लेता है तो इस आदत को छुड़ाना जरूरी है। सामान्यत: जो बच्चे स्तनपान करते हैं उनके लिए 20 मिनट की फीडिंग पर्याप्त होती है। पर, इसके बाद अगर वो अंगूठा चूसते हैं तो उन्हें कुछ समय के लिए स्तनपान कराएं। इससे उनकी कुछ चूसने की इच्छा पूरी हो जायेगी और वो अंगूठा नहीं चूसेंगे।

अक्सर देखा जाता है कि जो बच्चे बोतल से दूध पीते हैं, थोड़ा सा बड़ा होने पर जब उनकी बोतल जो 20 मिनट में खत्म होती थी वह 10 मिनट में खत्म होने लगती है। ऐसा होने पर भी वो अंगूठा चूसने लगते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब बच्चा बड़ा होता है तो ताकतवर हो जाता है और निप्पल कमजोर हो जाता है। ऐसे में जब बच्चे को दूध पिलाएं तो बोतल को पकड़कर उसकी दूध पीने की गति को नियंत्रित करें या फिर बिल्कुल छोटे छेद वाला निप्पल दें। उस निप्पल से पीने में बच्चे को ज्यादा ताकत लगानी होगी, इसलिए वह समय लेकर आराम से दूध पिएगा और अंगूठा नहीं चूसेगा।

जिन बच्चों के दांत निकल रहे होते हैं, उनमें भी अंगूठा चूसने की आदत होती है। ऐसा करने से उन्हें जबड़े का दबाव झेलने में मदद मिलती है। इस दौरान अंगूठा चूसने की आदत को गलत आदत समझकर परेशान नहीं होना चाहिए। वहीं बड़े बच्चे भरपूर प्यार न मिलने, असुरक्षित या उपेक्षित महसूस करने, नींद ना आने व तनाव की स्थिति में अंगूठा चूसते हैं। ऐसे बच्चों को प्यार व विश्वास की जरूरत होती है।

ऐसे मिलेगा इस आदत से छुटकारा

1. इस आदत को जड़ से खत्म करने के लिए बच्चे के दूध पीने के अंतराल को कम करने के साथ ही उसे व्यस्त रखें और भरपूर प्यार दें। आप जितनी जल्दी यह आदत छुड़वा देंगी उतना बेहतर होगा, वरना बाद में इसी काम में आपको काफी परेशानी होगी।

2. जब बच्चा अंगूठा चूसे तो उसे सचेत न करें, बल्कि उसका ध्यान अंगूठे की ओर से हटा कर खिलौने, डांस या गाने की ओर ले जाएं।

3. अंगूठा चूसने वाले बच्चे को बार-बार डांटे नहीं, क्योंकि ऐसा करने से वह तनाव दूर करने के लिए और ज्यादा अंगूठा चूसेगा़ इसलिए उसे प्यार से ही समझाएं।

4. जब बच्चा थोड़ा समझने लगे तो उसे अंगूठा न चूसने के बदले में चॉकलेट या कोई गेम दें।

5. अगर आप अंगूठे पर मिर्ची लगाएंगी या कोई अन्य तरीका अपनाएंगी तो बच्चा विरोध में उस आदत को और ज्यादा दोहराएगा। इसलिए बच्चे को प्यार से, बातों-बातों में या खेल-खेल में यह आदत छोड़ने के लिए उकसाएं।

6. बड़े बच्चे तनाव व उपेक्षित महसूस करने पर अंगूठा चूसते हैं। उनको खुश रखने की कोशिश करें। वह जब भी अकेला महसूस करे, तो उसे उसकी पसंद का कोई कार्य करने को दें और जब वह उस कार्य में सफल हो जाए, तब उसे शाबाशी दें। इससे वह गर्व महसूस करेगा और अंगूठा चूसना बंद कर देगा।

7. कभी भी दूसरों के सामने बच्चे की इस आदत की बुराई न करें। इससे उसका आत्मविश्वास और घटेगा।