Home India City News तो क्या अतिक्रमण हटाने के लिए प्रयास करेंगे सिरोही सभापति!

तो क्या अतिक्रमण हटाने के लिए प्रयास करेंगे सिरोही सभापति!

0
तो क्या अतिक्रमण हटाने के लिए प्रयास करेंगे सिरोही सभापति!

tararam ji
सबगुरु न्यूज-सिरोही। सभापति ताराराम माली ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके यह बताया कि उन्होने अपने रिश्तेदारों के नाम से खसरा संख्या 3015 व 3016 मे कोई पट्टा जारी नहीं किया है। उन्होंने बताया कि यह सूचना तथ्यहीन है, लेकिन प्रेस विज्ञप्ति में यह नहीं बताया कि जिन 28 लोगों को सजा हुई है, वह उनमें से इनके रिश्तेदार थे या नहीं।
दावा यह किया जा रहा है कि यह जमीन नगर परिषद को हस्तांतरित कर दी गई है ओर कर भी दी गई थी, लेकिन इसकी जमाबंदी नगर परिषद के नाम नहीं चढी थी। प्रशासन शहरों के संग अभियान में अशोक गहलोत सरकार ने नगर निकाय क्षेत्रों की समस्त बिलानाम भूमि नगर निकायों को हस्तांतरित करने के निर्देश जारी किए थे।

1

ऐसे में सवाल यह उठता है कि खसरा संख्या 3015 व 3016 समेत सिरोही पटवार संख्या द्वितीय में स्थित समस्त सरकारी जमीनें जो नगर परिषद को हस्तांतरित हो गई हैं, उनसे यह अतिक्रमण हटवाएंगे। इतना ही नहीं इस प्रेस विज्ञप्ति में यह भी खुलासा नहीं किया कि सिरोही नगर परिषद की जनता की सम्पत्ति के ट्रस्टी होने के नाते सिरोही सभापति इन 28 जनों की ओर से की जाने वाली अपील के खिलाफ नगर परिषद के खर्चे पर अधिवक्ता खडा करवाकर इन जमीनों पर से अतिक्रमण हटवाने की कार्रवाई करेंगे।

-खसरा संख्या 1218 भी तो बिलानाम ही थी

2

सभापति ने समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार में उन पर लगाए आरोप को बेबुनियाद बताया है। गुरुवार को प्रकाशित उनके बयान में यह भी कहा है कि खसरा संख्या 3016 राजस्व भूमि है। इस मामले में नगर परिषद का कोई संबंध नहीं। इसमें यह भी कहा गया कि यह अतिक्रमण नगर परिषद ने नहीं करवाए है।

इस प्रेस नोट में खसरा संख्या 1218 के संबंध में कुछ नहीं बताया गया। सभापति शायद यह भूल गए कि खसरा संख्या 1218 भी राजस्व भूमि ही है, कांग्रेस के बोर्ड में इस पर से कब्जे हटाकर पूरी जमीन को खाली करवा लिया गया था। भाजपा के काबिज होते ही इस जमीन के पट्टे उनके माध्यम से ही जारी हुए हैं, पूर्व मीडिया रिपोर्टों में उनकी स्वीकारोक्ति है कि इसके पट्टे उन्हीं के कार्यकाल में जारी हुए हैं।

3

इतना ही नहीं यह पट्टे जनवरी 2015 में ही जारी हो गए थे, तब तो भाजपा बोर्ड को बने हुए ही दो महीने हुए थे। मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार इनमें उनके एक पार्षद शंकरसिंह परिहार की माता जी के नाम भी है। सभापति ने प्रेस नोट में यह भी खुलासा नहीं किया कि जिन लोगों को तहसीलदार ने एलआर एक्ट की धारा 91 के तहत सजा सुनाई है, उनमें भाजपा के पार्षद या भाजपा के किसी कार्यकर्ता का कोई रिश्तेदार है या नहीं।
सभापति को प्रेस नोट जारी करके यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि सार्दुलपुरा आवासीय काॅलोनी का नगर परिषद से संबंध है या नहीं है। संबंध है तो यहां से भी सभी अतिक्रमण पूर्व कलक्टर एमएस काला व आयुक्त शिवपालसिंह ने हटवा दिए थे। कांग्रेस के शासनकाल में। इसमें भाजपा की एक नेत्री के रिश्तेदार का भी अतिक्रमण था।

सिरोही में भाजपा का बोर्ड काबिज होते ही इस भूखण्ड का भी पट्टा जारी कर दिया गया। यह भूखण्ड तो नगर परिषद सिरोही से संबंधित था, इस पर से अतिक्रमण खाली होने के बाद सभापति ताराराम माली के नेतृत्व में भाजपा बोर्ड के कार्यकाल में इस भूखण्ड का नियमन कैसे कर दिया गया। खसरा संख्या 1218 के जो केस न्यायालय में पेडिंग थे उन पर समझौता भी नगर परिषद ने भाजपा बोर्ड में ही किया था।

1218

उन्हें इस बात का भी प्रेस नोट जारी करके बताना चाहिए कि जब यह भूमि भी बिलानाम थी तो उनके बोर्ड ने किस आधार पर उस पर मालिकाना हक मानते हुए उन्होंने केस विड्राॅ करने की इजाजत दी। नगर परिषद एक स्वायत्त शासी बोर्ड है। यहां पर अकेले आयुक्त का निर्णय नहीं चलता, यह निर्णय बोर्ड के माध्यम से आयुक्त करता है। क्या  1218 के न्यायालय में चल रहे केस को विड्राॅ करवाने का प्रस्ताव सिरोही नगर परिषद में उनकी अध्यक्षता वाली किसी बैठक में या प्रशासनिक समिति में लिया गया था। यदि लिया गया था तो दोनों जगह भाजपा का ही बहुमत था, वहां पर यह प्रस्ताव रखा क्यों गया और भाजपा का बहुमत होते हुए यह पास कैसे हो गया। यदि यह प्रस्ताव बोर्ड में पास नहीं हुआ तो क्या 1218 का केस विड्राॅ करने की इजाजत उन्होंने अपनी स्वेच्छा से दी। या फिर आयुक्त ने मनमानी करते हुए ऐसा किया। यदि उनके कार्यकाल में भाजपा के बोर्ड में यह प्रस्ताव पारित किया गया है तो फिर भाजपा दोषी क्यों नहीं हुई, इसका भी खुलासा उन्हें करना चाहिए।

सिर्फ यही नहीं उन सभी पट्टों पर नगर परिषद को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए जो उनके कार्यकाल में जारी हुए हैं, इनकी संख्या एक दो नहीं बल्कि सौ से भी ज्यादा है। ये बात निकली है तो सुभाष उद्यान की पाल पर बने पट्टे सार्दुलपुरा काॅलोनी, पीडब्ल्यूडी काॅलोनी, इमानुअल मिशन स्कूल मार्ग, अशोक काॅलोनी, जटियाकुंड, ईदगाह मार्ग, संपूर्णानन्द काॅलोनी समेत शहर में स्थित हर सरकारी जमीन के जारी हुए पट्टे के संबंध में उन्हें जनता को बताना चाहिए कि इसमें भाजपा बोर्ड की क्या भूमिका रही है। इन सवालों से वह और भाजपा बोर्ड अपना दामन नहीं बचा सकता है।
और वह खुद

-अब इनकी भी सुनिये….
मै आपको वर्तमान बोर्ड की सभी बैठकों की प्रोसिडिंग की काॅपी दे दूंगा। मेरे ध्यान में तो ऐसी कोई बैठक ध्यान नहीं आ रही है, जिसमें यह प्रस्ताव रखा गया हो कि खसरा संख्या 1218 या नगर परिषद की अन्य जमीन पर चल रहे अतिक्रमण के केस में न्यायालय में समझौता करने या केस विड्राॅ करने का कोई निर्णय किया गया हो।
प्रवीण राठौड
भाजपा पार्षद, नगर परिषद सिरोही।
खसरा संख्या 1218 या किसी भी अन्य अतिक्रमण के लिए न्यायालय में नगर परिषद के खिलाफ चल रहे केस को वापस लेने या समझौता करने का कोई प्रस्ताव इस बोर्ड की किसी बैठक में नहीं किया गया है।
ईश्वरसिंह डाबी
कांग्रेस पार्षद, नगर परिषद सिरोही।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here