यूपी पुलिस किया अवैध धर्मांतरण गिरोह का भंडाफोड़, 10 अरेस्ट

जयपुर से जुडे रैकेट के तार
लखनऊ। अवैध धर्मांतरण को रैकेट चलाने वाले जलालुद्​दीन उर्फ छांगुर के खिलाफ एक्शन के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक और बड़े अवैध धर्मांतरण का रैकेट चलाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है।

यह गिरोह प्रदेश में युवतियों को बरगलाकर, प्रलोभन देकर और कट्टरपंथी सोच के जरिए अवैध धर्मांतरण कराने में संलिप्त था। पुलिस ने इस सिलसिले में छह राज्यों से 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें से राजस्थान के जयपुर से भी दो दबोचे गए हैं।

पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण ने शनिवार को पत्रकारों को बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अवैध धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए प्रदेशभर में मिशन अस्मिता चलाया जा रहा है। ऐसे में पुलिस को आगरा से दो सगी बहनों के लापता होने की सूचना मिली।

पुलिस ने मामले की जांच कि तो अवैध धर्मांतरण का पूरा खेल सामने आया। जांच में पता चला कि दोनों लड़कियों का ब्रैन वॉश कर अवैध धर्मांतरण किया गया। इसके बाद पुलिस ने मामले की तह तक जाना शुरू किया। इस दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

उन्होंने बताया कि अवैध धर्मांतरण के लिए कनाडा, अमरीका और दुबई समेत कई देशों से करोड़ों रुपए की अंतरराष्ट्रीय फंडिंग मिली थी, जिसका उपयोग देश में धार्मिक कट्टरता फैलाने और लड़कियों को बहलाकर उनका धर्म परिवर्तन कराने में किया जा रहा था। इनके तौर-तरीके, फंडिंग का दायरा और कार्यशैली आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकी संगठनों की तर्ज पर ही संचालित होती दिखीं। पुलिस ने जांच के दौरान छह राज्यों से 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिसमें एक लड़की भी शामिल है।

डीजीपी ने बताया कि आगरा से लापता लड़कियों के मामले की जांच की कमान पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार को दी गई। इस पर पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने मामले की जांच के लिए सात टीमें बनाईं। इस दौरान सर्विलांस, साइबर सेल से पुलिस को अहम जानकारियां मिलीं।

उसके बाद पुलिस ने छापेमारी शुरू की। वहीं टीम को कोलकाता भेजा गया, जहां आगरा से लापता दोनों सगी बहनों के बारे में जानकारी जुटाने के बाद उन्हे सुरक्षित किया गया। इसके बाद दोनों बहनों से विभिन्न जानकारी जुटाई गई। फिर टीम ने छह अलग-अलग राज्यों में छापेमारी कर 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया। अभी तक की शुरुआती जांच में इस गिरोह के पीएफआई, एसडीपीआाई और पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से संबंध होने के संकेत मिले हैं।

कृष्ण ने कहा कि मिशन अस्मिता के तहत इससे पहले भी कई संगठित अवैध धर्मांतरण रैकेट का भंडाफोड़ हो चुका है। इसी मिशन के तहत पहले मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती जहांगीर आलम कासमी जैसे आरोपी गिरफ्तार किए गए थे, जिन्होंने सैकड़ों लोगों का जबरन या बहला-फुसलाकर धर्मांतरण करवाया था।

आगरा प्रकरण में पकड़े गए आरोपी, विशेषकर युवतियों और नाबालिग लड़कियों को प्यार, नौकरी, आर्थिक मदद और धर्म से जुड़ी भ्रांतियों के माध्यम से फंसाते थे। उन्हें पहले भावनात्मक रूप से अपने जाल में फंसाया जाता और फिर दबाव या प्रलोभन के जरिए इस्लाम में धर्मांतरण कराया जाता।

इसी कड़ी में हाल में जलालुद्दीन उर्फ छांगुर के अवैध धर्म परिवर्तन के सिंडिकेट का भी पर्दाफाश किया गया। इसमें एसटीएफ और एटीएस की जांच जारी है। यह कार्यपद्धति आईएसआईएस के कट्टरपंथी मॉड्यूल जैसी ही थी। यह गिरोह सोशल मीडिया, डार्क वेब और कुछ मोबाइल ऐप्स के माध्यम से युवाओं को मानसिक रूप से कट्टर बनाकर उन्हें धर्मांतरण के लिए तैयार करता था।

पुलिस द्वारा गिरफ्तार आरोपियों में आयशा (एसबी कृष्णा)-गोवा, अली हसन (शेखर रॉय)-कोलकाता, ओसामा- कोलकाता, रहमान कुरैशी- आगरा,अब्बू तालिब- खालापार, मुजफ्फरनगर, अबुर रहमान- देहरादून, मोहम्मद अली- जयपुर राजस्थान, जुनैद कुरैशी-जयपुर, मुस्तफा (मनोज)-दिल्ली और मोहम्मद अली-जयपुर शामिल हैं।