चेन्नई। तमिलनाडु में चेन्नई की एक विशेष अदालत ने सनसनीखेज अन्ना विश्वविद्यालय यौन उत्पीड़न मामले में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) समर्थक ज्ञानेशकरण को कम से कम 30 साल की अवधि के सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के महीनों बाद अदालत ने आज यह फैसला सुनाया। गौरतलब है कि इस मामले में अदालत ने 23 मई को कार्यवाही पूरी करते हुए 28 मई को ज्ञानेशकरण को दोषी करार दिया था और उसकी सजा की अवधि के फैसले को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया।
इस बीच अदालत ने 37 वर्षीय ज्ञानेशकरण की सजा की अवधि निर्धारित करते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई जो 30 साल के सश्रम कारावास से कम नहीं होनी चाहिए । यह एक कठाेरऔर काफी कम मामलों मे दी जाने वाली सजा है जो ज्ञानेशकरण की अपराध की संगीनता की ओर इशारा करती है। इसके अलावा अदालत ने दोषी पर 90,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया।
अदालत ने कहा कि इस सजा के दौरान ज्ञानेशकरण को कोई छूट, पैरोल या अन्य कानूनी रियायत नहीं दी जानी चाहिए। हालांकि अदालत ने इस बात की अनुमति दी कि दिसंबर 2023 में गिरफ्तारी के बाद से न्यायिक हिरासत में बिताई गई अवधि को उसकी सजा में गिना जा सकता है।
घटना 23 दिसंबर 2023 को चेन्नई के प्रतिष्ठित सरकारी अन्ना विश्वविद्यालय परिसर में हुआ था। इंजीनियरिंग की द्वितीय वर्ष की छात्रा अपने साथी छात्र से बात कर रही थी कि तभी एक अज्ञात व्यक्ति उनके पास आया। उसने कथित तौर पर दोनों को धमकाकर छात्र पर हमला किया और उसे भगा दिया। इसके बाद उसने परिसर में युवती का यौन उत्पीड़न किया।
तमिलनाडु के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में से एक के परिसर में हुई इस जघन्य घटना की पूरे देश में व्यापक निंदा हुई और त्वरित न्याय की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन हुए। पीड़िता की शिकायत के बाद ‘कोट्टूरपुरम ऑल विमेन पुलिस स्टेशन’ में मामला दर्ज कर इसकी गहन जांच शुरू की गई। जांच के दौरान परिसर के बाहर बिरयानी की दुकान चलाने वाले आरोपी ज्ञानसेकरन को अगले दिन ही गिरफ्तार कर लिया गया। जांच को तीन महिला भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारियों वाली एसआईटी को स्थानांतरित कर दिया गया गया था।