किरोड़ी लाल मीणा ने मेवाड़ युनिवर्सिटी में फर्जी डिग्रियों का किया भंडाफोड़

चित्तौड़गढ़। राजस्थान कृषि मंत्री डा किरोड़ी लाल मीणा ने मंगलवार को चित्तौड़गढ़ जिले की मेवाड़ युनिवर्सिटी में छापा मारकर कृषि विज्ञान एवं डेयरी की फर्जी डिग्रियों का भंडाफोड़ किया।

डा मीणा ने मंगलवार सुबह स्थानीय पत्रकारों को एक रिसोर्ट में पत्रकार वार्ता के लिए बुलाया जहां से सबको साथ लेकर गंगरार स्थित मेवाड़ युनिवर्सिटी में पहुंच गए। युनिवर्सिटी में वह कृषि क्लास में गए जहां 46 बच्चों के मुकाबले मात्र 15 विद्यार्थी थे जो कृषि स्नातक कर रहे थे लेकिन उनमें से किसी ने भी जेट परीक्षा क्लीयर नहीं की थी।

बाद में वह अपने साथ लाए फर्जी डिग्री लेने वाले शिकायतकर्ता बीकानेर निवासी छात्र स्वतंत्र कुमार ज्याणी को साथ लेकर परीक्षा नियंत्रक विभाग पहुंचे जहां उन्होंने करीब चार सौ परीक्षार्थियों की कापियां जब्त की। बताया जा रहा है कि इन सभी परीक्षार्थियों को युनिवर्सिटी ने कृषि स्नातक की फर्जी डिग्रियां जारी की थी।

पीड़ित छात्र ने बताया कि उसे बीकानेर निवासी केके शर्मा ने पचास हजार रुपए में गत 11 मई को यहां लाकर चार परीक्षाएं दिलवाई और डिग्री जारी कर दी गई जबकि उसने परीक्षा की कापियों में कुछ भी नहीं लिखा था क्योंकि ना तो उसकी आफ लाइन और ना ही आनलाइन अध्ययन कराया गया इसके बावजूद उसे 66 प्रतिशत अंक हाथों हाथ दे दिए गए। उसने बताया कि इस डिग्री से वह पेस्टीसाइड्स का लायसेंस लेने वाला था।

डा मीणा ने बताया कि इस युनिवर्सिटी ने देश के हजारों बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है इसके साथ ही उन्होंने यहां से शोध एवं बीएड की फर्जी डिग्रियां जारी करने के भी आंकड़े बताते हुए कहा कि जो यहां शोध कर रहे थे उन्हें ही यहां शोध पूर्ण होने से पूर्व ही प्रोफेसर की नियुक्ति दे दी। इन डिग्रियों से ना तो केंद्रीय लोक सेवा आयोग और ना ही राजस्थान लोक सेवा आयोग में किसी बच्चे को नौकरी मिल सकती है। उन्होंने बीएड की फर्जी डिग्री जारी करने में यहां जांच करने आई राज्य की एसओजी के बिना पुख्ता कार्रवाई लौट जाने पर भी रोष जताया और कहा कि इस बारे मे मुख्यमंत्री से बात कर वे पुनः कार्रवाई कराई जायेगी।

उन्होंने कहा कि यह युनिवर्सिटी ना तो यूजीसी और ना ही आईसीआर के नियमों की पालना कर रही है। कृषि विज्ञान के प्रेक्टिकल कराने के लिए इनके पास कैंपस में खेत भी नहीं है और कागजों में यहां से आठ किलोमीटर दूर खेत दर्शा रखे हैं। उन्होंने बताया कि दक्षिण के तमिलनाडु से भी ऐसे ही फर्जी डिग्रियां जारी हुई जिसके आधार पर बने कृषि इंजीनियर घटिया बीज और खाद को मान्यता दे रहे थे। घटिया खाद, बीज और पेस्टीसाइड्स कंपनियों पर छापे के बाद इन युनिवर्सिटी का फर्जी डिग्री घोटाला सामने आया था और उसी में मेवाड़ युनिवर्सिटी का भी नाम था।