राजस्थान सरकार ने रिफाइनरी की संशोधित लागत को मंजूरी सहित किए कई महत्वपूर्ण निर्णय

जयपुर। राजस्थान सरकार ने पचपदरा रिफाइनरी की संशोधित लागत को मंजूरी, प्रदेश में पर्यावरण सुरक्षा, हरित एवं टिकाऊ विकास को प्रोत्साहन देने, गवर्नेन्स, उद्योग, शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) एवं मशीन लर्निंग के उत्तरदायी, नैतिक एवं सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए नयी नीतियों के अनुमोदन और कर्मचारी कल्याण से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसले किए गए है।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में मंगलवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित मंत्रिमण्डल की बैठक में ये निर्णय किए गए। बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री डाॅ प्रेमचंद बैरवा, संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल एवं जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री कन्हैया लाल ने पत्रकारों को निर्णयों के बारे में जानकारी दी।

डाॅ बैरवा बताया कि बजट वर्ष 2025-26 की घोषणा की अनुपालना में अनुमोदित राजस्थान वाहन स्क्रैपिंग नीति-2025 प्रदेश में सड़क पर चलने में अयोग्य एवं प्रदूषणकारी वाहनों को चरणबद्ध रूप से हटाकर उन्हें वैज्ञानिक, सुरक्षित एवं पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप नष्ट करने के उद्देश्य से लाई जा रही है।

इस नीति के तहत राज्य में रजिस्टर्ड व्हीकल स्क्रैपिंग फैसिलिटीज (आरवीएसएफ) की स्थापना को बढ़ावा दिया जाएगा, जिनके माध्यम से वाहनों की स्क्रैपिंग पूरी तरह पारदर्शी, डिजिटल और ट्रेस योग्य होगी। सभी स्क्रैपिंग प्रक्रियाएं वाहन पोर्टल से एकीकृत होंगी, जिससे स्क्रैप योग्य वाहनों के अनधिकृत उपयोग की संभावना समाप्त होगी।

उन्होंने बताया कि 15 वर्ष से अधिक पुराने सरकारी वाहन, फिटनेस/पंजीकरण रहित वाहन, दुर्घटनाग्रस्त, क्षतिग्रस्त वाहन, नीलामी में खरीदे गए कबाड़ वाहन, अनुपयोगी वाहन या स्वेच्छा से आरवीएसएफ को दिए गए वाहन इस नीति के अंतर्गत स्क्रैप किए जा सकेंगे। अधिकृत स्क्रैप सेंटर से वाहन स्वामी को सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (सीओडी) और सर्टिफिकेट ऑफ व्हीकल स्क्रैपिंग (सीवीएस) जारी किए जाएंगे। साथ ही, वाहन पोर्टल पर भी डिजिटली अपलोड किए जाएंगे। सीओडी के आधार पर नए वाहन की खरीद पर मोटर वाहन कर में 50 प्रतिशत तक (अधिकतम 1 लाख रुपए) की छूट का लाभ भी मिल सकेगा।

डाॅ बैरवा ने बताया कि रजिस्टर्ड स्क्रैपर स्क्रैप किए गए वाहन के चैसिस नम्बर के कट पीस को सीवीएस जारी होने की तारीख से 6 माह तक सेफ कस्टडी में रखेंगे। इसके बाद वे इसे अपने क्षेत्र के जिला परिवहन अधिकारी को जमा करेंगे, जहां इसे 18 माह तक सेफ कस्टडी में रखा जाएगा। राजस्थान वाहन स्क्रैपिंग नीति-2025 के माध्यम से सर्कुलर इकॉनॉमी को मजबूती मिलेगी। स्क्रैपिंग से प्राप्त स्टील, एल्युमिनियम, प्लास्टिक, रबर व अन्य सामग्री का पुनः उपयोग संभव होगा, जिससे ऑटोमोबाइल, स्टील एवं मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को सस्ती कच्ची सामग्री उपलब्ध होगी।

उप मुख्यमंत्री ने बताया कि नीति में निवेश को आकर्षित करने हेतु पंजीकृत स्क्रैपिंग यूनिट्स के लिए विशेष प्रोत्साहन दिए गए हैं, जिनमें प्रारंभिक 20 इकाइयों को पूंजी निवेश पर सब्सिडी, राज्य कर में छूट, ब्याज अनुदान, स्टाम्प ड्यूटी व विद्युत शुल्क में रियायत शामिल है। साथ ही रिसाइकिं्लग एवं स्क्रैपिंग से जुड़े स्टार्टअप्स को राजस्थान स्टार्टअप पॉलिसी के अंतर्गत समर्थन देने का प्रावधान किया गया है।

उन्होंने बताया कि बैठक में राजस्थान एआई एमएल पॉलिसी-2026 का अनुमोदन किया गया जो प्रदेश को निवेश एवं नवाचार के उभरते केन्द्र के रूप में विकसित करने में सहायक सिद्ध होगी। इस वर्ष के बजट में सेवा प्रदायगी में सूचना प्रौद्योगिकी के महत्व को देखते हुए ई-गवर्नेंस के विस्तार को सुनिश्चित करने के लिए यह नीति लाने की घोषणा की गई थी। इस नीति का उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं मशीन लर्निंग के उत्तरदायी, नैतिक एवं सुरक्षित उपयोग से सार्वजनिक सेवा वितरण को अधिक त्वरित, पारदर्शी एवं नागरिक-केंद्रित बनाना, प्रशासनिक दक्षता में वृद्धि करना तथा नवाचार-आधारित आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है।

डाॅ बैरवा ने बताया कि इस नीति के तहत एआई सिस्टम्स पारदर्शी, जवाबदेह, निष्पक्ष, गोपनीयता-संरक्षित बनाने के साथ-साथ एआई प्रणालियों में पक्षपात को कम करने, डेटा की सुरक्षा और निर्णय प्रक्रिया की स्पष्टता पर विशेष बल दिया गया है। नीति में एआई से जुड़े साइबर अपराधों की रिपोर्टिंग एवं समाधान के लिए स्पष्ट प्रक्रियाओं का प्रावधान भी किया गया है। नीति के अन्तर्गत प्रदेश में एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना करना भी शामिल है।

उन्होंने बताया कि नीति के अंतर्गत प्रत्येक विभाग अपने लिए एआई उपयोग से जुड़े कार्यों की पहचान करेगा और एक एआई नोडल अधिकारी नियुक्त करेगा। आधुनिक डिजिटल एवं कंप्यूट अवसंरचना, एआई क्लाउड सेवाओं, सुरक्षित डेटा स्टोरेज और टेसिं्टग प्लेटफॉर्म की व्यवस्था को बढ़ावा दिया जाएगा। स्कूलों, आईटीआई, पॉलिटेक्निक संस्थानों और कॉलेजों में एआई शिक्षा को प्रोत्साहन दिया जाएगा। युवाओं, शिक्षकों और सरकारी कार्मिकों के लिए एआई प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएंगे। उद्योग, एमएसएमई, स्टार्टअप और रिसर्च इंस्टीट्यूट्स को एआई से जुड़ी पहलें करने के लिए रिप्स, एमएसएमई एवं स्टार्टअप नीतियों के अनुरूप टॉप-अप प्रोत्साहन दिए जाएंगे।

जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री कन्हैया लाल ने बताया कि स्थानीय निकायों तथा निवेशकों को हरित एवं टिकाऊ विकास से संबंधित परियोजनाओं एवं गतिविधियों के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन उपलब्ध कराने के लिए ग्रीन क्रेडिट वाउचर इनिशिएटिव-2025 योजना को मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी प्रदान की गई। इस योजना के माध्यम से पर्यावरणीय लक्ष्यों को आर्थिक प्रोत्साहनों से जोड़कर ग्रीन एवं सर्कुलर इकोनॉमी के विकास को बढ़ावा दिया जा सकेगा। योजना का प्रमुख उद्देश्य वाउचर के रूप में ट्रेडेबल एवं रीडीमेबल ग्रीन क्रेडिट प्रदान कर पर्यावरणीय रूप से सस्टेनेबल परियोजनाओं में निवेश को प्रोत्साहित करना है।

कन्हैया लाल ने बताया कि इस योजना के तहत उद्यमों एवं शहरी स्थानीय निकायों को नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, अपशिष्ट प्रबंधन, जल संरक्षण एवं प्रबंधन, वायु प्रदूषण नियंत्रण उपायों, सस्टेनेबल बिलिंडिंग एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर, सस्टेनेबल एग्रीकल्चर तथा अन्य पर्यावरण-अनुकूल क्षेत्रों में कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस योजना में पात्र निवेशकों को रिप्स-2024 के अंतर्गत मिलने वाले ग्रीन इंसेंटिव्स के अतिरिक्त उनके पर्यावरण संबंधित योगदान के लिए ग्रीन क्रेडिट वाउचर जारी किए जाएंगे। ये ग्रीन वाउचर एक करोड़ रुपए तक के हरित निवेश पर 5 प्रतिशत और 10 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश पर 10 प्रतिशत (अधिकतम 2.50 करोड़ रुपए) तक मूल्य के होंगे। शहरी स्थानीय निकायों को भी स्वयं के संसाधनों से वित्त पोषित परियोजनाओं पर इसी अनुरूप ग्रीन वाउचर जारी किए जाएंगे।

पटेल ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान सरकार के कार्यकाल में पचपदरा में निर्माणाधीन 9 मिलियन मैट्रिक टन वार्षिक क्षमता की रिफाइनरी सह पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स परियोजना की स्थापना के कार्य में तेजी आई है और यह पूर्णता की ओर है। रिफाइनरी परियोजना के लिए राज्य सरकार और एचपीसीएल के बीच 18 अप्रैल 2017 को एमओयू हुआ था। रिफाइनरी की अनुमानित प्रारम्भिक लागत 43 हजार 129 करोड़ रुपए थी और कार्य 31 अक्टूबर, 2022 तक पूरा किया जाना था।

पटेल ने बताया कि पूर्ववर्ती राज्य सरकार के समय में दो जून, 2023 को परियोजना की लागत बढ़कर 72 हजार 937 करोड़ रुपए हो गई। एचपीसीएल राजस्थान रिफाइनरी लि. द्वारा राज्य सरकार को 24 जुलाई 2025 को रिफानरी के लागत मूल्य में द्वितीय संशोधन का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। राज्य सरकार ने इस प्रस्ताव का मूल्यांकन भारत सरकार के उपक्रम मेकॉन लिमिटेड द्वारा करवाया। मेकॉन लि. की रिपोर्ट का राज्य सरकार द्वारा गठित समिति ने परीक्षण किया और इस क्रम में एचआरआरएल के द्वितीय संशोधित लागत मूल्य प्रस्ताव को कैबिनेट द्वारा राज्य हित को देखते हुए मंजूरी प्रदान की गई है।

उन्होंने बताया कि अब राजस्थान रिफाइनरी की संशोधित लागत 6 हजार 522 करोड़ बढ़कर 79 हजार 459 करोड़ रुपए है, जिसमें ऋण-इक्विटी अनुपात पूर्व की भांति ही 2ः1 होगा। परियोजना में राज्य सरकार की इक्विटी हिस्सेदारी 26 प्रतिशत के अनुसार 6 हजार 886 करोड़ रुपए निर्धारित की गई है। बढ़ी हुई लागत के कारण अतिरिक्त अंश पूंजी के रूप में 565.24 करोड़ रुपए का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा।

कन्हैयालाल ने बताया कि राजस्थान राजस्व लेखा (राज्य एवं अधीनस्थ) सेवा नियम-2025 के प्रारूप को भी मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दी गई। नवीन सेवा नियमों के लागू होने से राजस्व लेखा संवर्ग के तहसील राजस्व लेखाकार के पद पर भर्ती होने वाले कार्मिकों को सहायक राजस्व लेखा अधिकारी ग्रेड-2, सहायक राजस्व लेखा अधिकारी ग्रेड-1 के अधीनस्थ सेवा के पदों एवं राजस्व लेखाधिकारी के पद पर राज्य सेवा में पदोन्नति के समुचित अवसर अनुभव एवं पात्रता अनुसार क्रमबद्ध रूप से प्राप्त हो सकेंगे।

उन्होंने बताया कि राजस्थान विधानसभा सचिवालय में मार्शल, अतिरिक्त मार्शल एवं उप मार्शल के पदों को अब राजस्थान पुलिस सेवा के अधिकारियों के अतिरिक्त सैन्य एवं अर्द्धसैन्य बलों के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति, स्थानान्तरण अथवा विशेष चयन के माध्यम से भी भरा जा सकेगा। इसके लिए राजस्थान विधानसभा सचिवालय (भर्ती तथा सेवा की शर्तें) नियम, 1992 में संशोधन की कैबिनेट में स्वीकृति प्रदान की गई।

संशोधित प्रावधानों के अंतर्गत मार्शल, अतिरिक्त मार्शल एवं उप मार्शल के पदों पर क्रमशः राजस्थान पुलिस सेवा के एल-19, एल-16 एवं एल-14 पे लेवल के अधिकारियों अथवा सैन्य एवं अर्द्ध सैन्य बल सेवा के एक पे लेवल कम या समकक्ष पे लेवल के 45 वर्ष से कम आयु के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति, स्थानान्तरण अथवा विशेष चयन के माध्यम से भर्ती की जाएगी। वहीं, सहायक मार्शल के पद हेतु राजस्थान अधीनस्थ पुलिस सेवा से उप निरीक्षक पद पर न्यूनतम 3 वर्ष का अनुभव तथा राजस्थान विधानसभा सचिवालय में कम से कम एक वर्ष तक लगातार कार्य करने का अनुभव अनिवार्य किया गया है।

उन्होंने बताया कि राज्य विशेष शाखा (स्पेशल सिक्योरिटी विंग) में पदस्थापित कार्मिकों को वर्तमान में मूल वेतन का 15 प्रतिशत विशेष भत्ता देय है। इसे अन्य राज्यों में मिल रहे विशेष भत्ते को दृष्टिगत रखते हुए 25 प्रतिशत किया जाएगा। इसके लिए राजस्थान सिविल सेवा (राज्य विशेष शाखा में व्यक्तियों की नियुक्ति के लिए विशेष चयन एवं सेवा की विशेष शर्तें) नियम, 2012 में संशोधन को स्वीकृति प्रदान की गई है। उक्त संशोधित दर को 01 अप्रैल 2025 से प्रभावी माना जाएगा।

पटेल ने बताया कि सप्तम राज्य वित्त आयोग द्वारा वर्ष 2025-26 के लिए अंतरिम रिपोर्ट गत दो सितंबर को राज्यपाल को प्रस्तुत की गई थी। उक्त अंतरिम रिपोर्ट की अनुशंषाओं का राज्य मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदन किया गया। अब इन सिफारिशों को राजस्थान विधानसभा के आगामी सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा।