दिल्ली में आप के साथ गठबंधन से नाराज अरविंदर सिंह लवली का इस्तीफा

नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने प्रदेश के प्रभारी महासचिव पर मनमानी करने तथा दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन के विरोध में अपने पद से रविवार को इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि लवली का इस्तीफा पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को मिल गया है लेकिन त्यागपत्र को अभी स्वीकार नहीं किया गया है और उसमें लिखे बिंदुओं पर गौर किया जा रहा है।

लवली ने अपना इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे को भेजा है और उनका आभार जताया है कि उन्होंने गत वर्ष अगस्त में उन्हें फिर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व सौंपा था। पत्र में उन्होंने लिखा कि पिछले 7-8 महीने के दौरान उन्होंने दिल्ली के सभी सात लोकसभा संसदीय क्षेत्रों का दौरा किया और नाराज कार्यकर्ताओं तथा पार्टी छोड़ चुके कई कांग्रेसी नेताओं को फिर पार्टी में शामिल कर कांग्रेस को दिल्ली में मजबूत करने का काम किया लेकिन पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने मनमानी से दिल्ली को लेकर फैसले लिए जिसके विरोध में वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं।

उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा है कि दिल्ली कांग्रेस उस आम आदमी पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन के खिलाफ थी जो कांग्रेस के विरुद्ध झूठे, मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के एकमात्र आधार पर गठित हुई थी। इसके बावजूद कांग्रेस नेतृत्व ने दिल्ली में लोकसभा चुनाव के लिए आप के साथ गठबंधन किया है। पार्टी नेतृत्व की इस निर्णय से कांग्रेस कार्यकर्ता खुश नहीं है इसलिए उन्होंने दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है।

लवली ने कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर पार्टी के कार्यकर्ताओं की नाराजगी का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि जब लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन को लेकर बैठक हो रही थी तो प्रदेश कार्यालय के बाहर दिल्ली के कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इसके बावजूद उन्होंने गठबंधन को लेकर पार्टी नेतृत्व के फैसले को स्वीकार किया है।

उन्होंने दिल्ली के प्रभारी दीपक बावरिया का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधा और कहा कि प्रभारी महासचिव की मनमानी ज्यादा ही बढ़ गई है इसलिए वह पद छोड़ रहे हैं। लवली के मुताबिक उन पर बाबरिया के खिलाफ रहने वाले नेताओं को पार्टी से बाहर करने का भारी दबाव है।

लवली ने लिखा कि यह पत्र में बहुत भारी मन से लिख रहा हूं। मैं पार्टी में खुद को एकदम लाचार महसूस कर रहा हूं इसलिए अब दिल्ली के अध्यक्ष पद पर बना नहीं रह सकता। दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के सर्वसम्मत सभी फैसलों पर भी दिल्ली के प्रभारी रोक लगा देते हैं। जब से मुझे दिल्ली का पार्टी चीफ बनाया गया है तब से मुझे किसी को भी सीनियर पद पर नियुक्त करने की अनुमति नहीं है।

लवली यही नहीं रुके और उन्होंने पत्र में आगे लिखा कि मैंने एक अनुभवी नेता को मीडिया प्रभारी नियुक्ति का अनुरोध किया लेकिन प्रभारी ने इसे भी खारिज कर दिया। हालात यह हैं कि दिल्ली प्रभारी ने अब तक ब्लॉक प्रभारी नियुक्त करने की अनुमति भी नहीं दी है जिसकी वज़ह से अब तक दिल्ली के 150 ब्लॉक में प्रभारियों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे तीन पेज की पत्र में लवली ने कई फैसलों पर अप्पत्ति जताते हुए कहा है कि इन सब परिस्थितियों के बीच वह पद पर बने नहीं रह सकते हैं।

गौरतलब है कि लवली 15 साल तक दिल्ली में रही शीला दीक्षित सरकार में शिक्षा तथा पर्यटन जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। वह 2017 में नगर निगम चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए लेकिन एक साल के भीतर ही पार्टी में लौट आये। कांग्रेस में घर वापसी करते हुए लवली ने भाजपा के साथ खुद को वैचारिक रूप से मिसफिट बताया था।