सबको मालूम है वैभव गहलोत के वचन पत्र की हकीकत लेकिन…

परीक्षित मिश्रा
सबगुरु न्यूज-सिरोही। गालिब का एक शेर है….
सबको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन
दिल को बहलाने को गालिब ये खयाल भी अच्छा है।

राजस्थान की सबसे हाॅट सीट में से एक जालोर-सिरोही-सांचौर लोकसभा सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी वैभव गहलोत ने गुरुवार को अपना वचन पत्र जारी किया। इस वचन पत्र हर वर्ग के 9 वचन हैं। इसकी एक एक करके अशोक गहलोत की सरकार रहते समय किए गए कामों और इनका जालोर, सिरोही और सांचोर के आम आदमी तक पहुंचे लाभ की हकीकत एक एक करके जानेंगे।

अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री काल में ही वचन पत्र के अभ्यारण्य विकास और पर्यटन के अंतिम वचन की हकीकत तो पूरी लोकसभा की आंखें खोलने वाली होने वाली है। वैभव गहलोत के वचन पत्र के 3-4 प्रमुख दावों पर अशोक गहलोत की सरकार के दौरान क्या काम हुए और कितने प्रयास हुए वचन पत्र में उसके जिक्र के बिना तो इस वचन पत्र पर गालिब के शेर को कुछ यूं कहने को मजबूर हो जाएगी कि

हमको मालूम है वचन पत्र की हकीकत लेकिन,
लोगों को भरमाने को ये ख्याल भी अच्छा है।

40 पेज के इस वचन पत्र में हर वर्ग के लिए कुल नौ वचन है। पहला वचन है युवाओं के लिए।इसी में ये दावा किया गया है कि अशोक गहलोत सरकार ने 500 बच्चों को विदेश पढने भेजने की योजना शुरू की थी। वो जालोर-सिरोही-सांचैर सीट से चुने जाते हैं तो 12वीं पास करने वाले 20 छात्रों के लिए ये योजना शुरू करेंगे।

ये बात सही है कि अशोक गहलोत सरकार ने ऐसी योजना शुरू की थी। लेकिन, इसमें 500 बच्चों को विदेश पढने भेजने का दावा झूठा है और ये भी कि वर्तमान सरकार ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है, हां नाम बदलने इसके नियमों में सुधार के लिए विराम जरूर दिया है।

नवभारत टाइम्स में प्रकाशित समाचार के अनुसार राजस्थान सरकार ने 20 अगस्त 2021 को राजीव गांधी स्काॅलरशिप फाॅर एजुकेशनल एक्सीलेंस शुरू की थी। इस खबर के अनुसार ये योजना सिर्फ 200 छात्रों तक सीमित है। इस योजना का प्रचार प्रसार नहीं करके अशोक गहलोत सरकार के अधिकारियों ने इसे सीमित रखा। शुरू में इस योजना के लिए न्यूनतम आठ लाख सालाना  आय वाले अभिभावकों के बारहवी पास बच्चों को लाभांवित करने का नियम रखा।

अधिकारियों ने इसका प्रचार प्रसार नहीं किया तो आवेदन नहीं आए। इस पर इसकी आय न्यूनतम सीमा 25 लाख कर दी। नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अशोक गहलोत सरकार ने इस योजना का फायदा अपने करीबी आईएएस अधिकारियों और बिजनेस मैन को दिलवाया। सामान्य और ओबीसी वर्ग के कई प्रतिभाशाली आम जरूरतमंद राजस्थानी छात्र इससे महरूम की दिए गए।

वैभव गहलोत को ये बताना चाहिए कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा जालोर, सिरोही और सांचैर में नियुक्त किए गए छाया मुख्यमंत्रियों ने इन तीनों जिले के कितने बच्चों को इस योजना का लाभ दिलवाया। जबकि ये तीनों ही अशोक गहलोत के सबसे करीबी माने जाते थे। यही नहीं इस दौरान वैभव गहलोत भी आरसीए अध्यक्ष के रूप में जालोर, सिरोही, सांचौर आए उन्होंने तब यहां के बच्चों को इस योजना का लाभ क्यों नहीं दिलवाया। दिलवाया तो उन्हें इन लाभार्थियों को ही अपने वचनपत्र की लाॅन्चिंग में उनके वचन का अग्निसाक्षी बना सकते थे।

यूं माउंट आबू में लिमबड़ी कोठी निर्माण में जिस तरह से अशोक गहलोत सरकार ने अपने करीबी नेता को लाभान्वित करके 25 हजार लोगों को सम्मान से छत और ठीक ठाक घर नसीब नहीं होने दिया उससे तो इस योजना के स्थानीय स्तर पर लागू करने में भेदभाव नहीं होने की संभावना अविश्वसनीय है।

दूसरा वादा है ट्रेनों के विस्तार का। इसमें सबसे पहला वादा ही उदयपुर-पिण्डवाडा और पिण्डवाडा-बागरा रोड के बीच आठ साल पुराने सर्वे के अनुसार काम शुरू करवाने का प्रयास करेंगे। सवाल ये कि जब ये सर्वे 2017 में ही हो चुका था तो एक राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में प्रदेश के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हुए पिछले पांच साल में कब कब इस मुद्दे को उठाया इसकी जानकारी के बिना ये वचन अधूरा सा लगता है।

यही नहीं अशोक गहलोत सरकार ने इस रेल योजना को शुरू करने के लिए केन्द्र सरकार से कितने पत्राचार किए इसकी ही जानकारी यदि जनता तक पहुंचती तो वचन की गंभीरता प्रतीत होती। यूं कांग्रेस के मंच से सिरोही शहर में हुए आंदोलनों में ये मुद्दा स्थानीय लीडरशिप जरूर उठाती रही है।

ये ऐसा वचन है जो तभी संभव है जब केन्द्र में कांग्रेस नित इंडिया गठबंधन की सरकार बन जाती है। यदि एनडीए की सरकार आती है तो क्या जालोर-सिरोही-सांचौर के लोगों को ओटाराम देवासी की तरह हावकी मां की वजह से वचन पूरा नहीं कर पाने का बहाना तो नहीं करेंगे।

वचन संख्या 4 में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को पेंशन और अन्य कामों के लिए सरकारी दफ्तरों में चक्कर नहीं काटने का दावा तो आंख में धूल झोंकने जैसा है। राजस्थान और सिरोही से कांग्रेस की सफाई की प्रमुख वजह ही सरकारी दफ्तरों में लोगों की सुनवाई नहीं होना थी। अशोक गहलोत सरकार अशोक गहलोत सरकार सरकारी दफ्तरों में अपने द्वारा ही लागू किए कानूनों की पालना नहीं करवा पाई। आम इंसान तो आम इंसान गहलोत सरकार में तो अधिकारी के लोगों को अपने कार्यालयों में घुसने नहीं देने की शिकायतें भी आई। आबूरोड में तो मुख्यमंत्री के रूप में आये अशोक गहलोत के सामने कांग्रेस जनप्रतिनिधियों ने इसकी शिकायत की। जिनकी सुनवाई नहीं हुई।

वचन पत्र का छठा वचन है। किसान, कृषि और पेयजल को लेकर इसमें माही-बाजाज बांध का पानी सिरोही, जालोर और बाडमेर को दिलवाने का वचन दिया है। माही बजाज सागर बांध बांसवाडा जिले में है। 1966 में गुजरात ने 55 प्रतिशत और राजस्थान ने 45 प्रतिशत आर्थिक सहयोग से इसे बनवाया था।

इसके पानी में गुजरात और राजस्थान दोनों का शेयर है। समझौते के तहत ये तय हुआ था कि जब नर्मदा का पानी खेडा जिले में पहुंच जाएगा तक इसका पूरा पानी राजस्थान को दे दिया जाएगा। नर्मदा का पानी खेडा पहुंचे हुए 6 साल से ज्यादा हो गया। राजस्थान को गुजरात में जाने वाला पानी नहीं मिला।

ये अंतरराज्यीय जल समझौता है। इसकी पालना नहीं करने को लेकर अशोक गहलोत सरकार ने नर्मदा का पानी खेडा पहुंचने के सबूत एकत्रित करके सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से राजस्थान को उसका हक दिलवाने का क्या प्रयास किया। जो किसान इसके लिए संघर्षरत हैं उन्हें मदद देने के लिए  अशोक गहलोत सरकार ने जो प्रयास किए उसके जिक्र के बिना ये वचन पत्र अधूरा लगता है। उल्लेखनीय है कि अशोक गहलोत के कार्यकाल में तो गुजरात नहरों के रखरखाव के लिए दिए जाने वाला पैसा भी माही बाजाज परियोजना की राजस्थान ईकाई को लम्बे समय से नहीं दे रहा था।

वचन पत्र में किए कई दावों पर अशोक गहलोत सरकार की विफलताओं के कारण आज भी राजनीतिक पंडितों और तमाम सर्वे में जालोर सिरोही सांचौर सीट पर वैभव गहलोत को अपर हैंड पर नहीं बता रहे हैं।

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