सिद्दारमैया ने गोहत्या पर लगे प्रतिबंध को हटाए जाने के दिए संकेत

बेंगलूरु। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने अपने मंत्रिमंडल के सदस्य के वेंकटेश के बयान का बचाव करते हुए राज्य में पिछली भारतीय जनता पार्टी सरकार के गो हत्या प्रतिबंध संबंधी कानून को हटाये जाने के संकेत दिए हैं। सिद्दारमैया ने कहा कि 1964 के अधिनियम के तहत 12 वर्ष से अधिक आयु की गायों को मारने का प्रावधान है।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि हम कैबिनेट में इस (गौहत्या के मुद्दे) पर चर्चा करेंगे। इस मामले में 1964 के अधिनियम में जो कहा गया है, वह यह है कि (वध करने का प्रावधान है) 12 साल से अधिक उम्र की गायों, बांझ गायों और खेती के लिए अनुपयोगी गायों को मारने का प्रावधान है।

उन्होंने (वेंकटेश) ने कानून के पूर्ण विवरण को जाने बिना टिप्पणी की है। अधिनियम में संशोधन किया गया था, फिर हम इसे वापस लाए और इसे फिर से बदल दिया गया (पिछली भाजपा सरकार द्वारा)। हम इस पर कैबिनेट में चर्चा करेंगे। सिद्दारमैया ने हालांकि स्पष्ट किया, अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है।

वेंकटेश ने शनिवार को कहा था कि अगर भैंसों का वध किया जा सकता है तो गायों का क्यों नहीं। उनके इस बयान पर भाजपा के बड़े पैमाने पर विरोध को किया, भाजपा ने कर्नाटक वध रोकथाम और मवेशी अधिनियम, 2020 पारित किया था। तब विपक्षी कांग्रेस ने इस कानून का विरोध किया था, इस मामले में 2021 में कानून बना दिया गया था। वेंकटेश ने कहा कि किसान वृद्ध मवेशियों को रखने और मृतकों का निपटान करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

सोमवार की सुबह, कर्नाटक के पूर्व मंत्री प्रभु चव्हाण ने वेंकटेश को गोहत्या के पक्ष में बयान देने के लिए उन्हें ‘मेंटल केस’ बता दिया। बीदर में पत्रकारों से बात करते हुए चव्हाण ने कहा कि गोहत्या विरोधी कानून 1964 में कांग्रेस सरकार ने बनाया था बाद की भाजपा की सरकारों ने इसे और मजबूत किया। उन्होंने एक समुदाय विशेष को खुश करने का आरोप कांग्रेस सरकार पर लगाया और मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को वेंकटेश का मंत्रालय बदलने और मंत्री के रूप में उनसे इस्तीफ मांगने को कहा।

उन्होंने कहा कि मैं आपको बता रहा हूं, वेंकटेश ने न तो अपने विभाग को देखा है, न ही वह जिले में गए और समीक्षा बैठक भी नहीं की हैं। आप ऐसा (गोहत्या के लिए बोलते हुए) किसको सुन रहे हैं? वह मानसिक रूप से बीमार हो गए हैं, पूरी तरह से मानसिक। मैं मुख्यमंत्री से कह रहा हूं कि उन्हें वेंकटेश के पोर्टफोलियो को बदलना चाहिए या मंत्री के रूप में अपना इस्तीफा मांगना चाहिए। अन्यथा, उन्हें माफी मांगनी चाहिए।

उन्होंने कहा कियह कांग्रेस सरकार थी जिसने 1964 में गौहत्या विरोधी कानून पेश किया था। तब मुख्यमंत्री कौन थे? यह एस निजलिंगप्पा थे। इसमें स्पष्ट रूप से गायों का वध नहीं करने का उल्लेख किया गया था। उन्हें शर्म आनी चाहिए। किस आधार पर वह (वेंकटेश)गो हत्या पर लगा प्रतिबंध हटाना चाहते हैं? हमारी भाजपा सरकारों ने गायों की रक्षा के लिए कानून को मजबूत किया। लेकिन अब वह सिर्फ एक विशेष समुदाय से अपील करने के लिए इसका विरोध कर रही हैं।

चव्हाण ने दावा किया कि उन्हें इस मुद्दे पर राज्य भर के मठों के संतों के फोन आ रहे हैं और अगर कांग्रेस सरकार गोहत्या पर से प्रतिबंध हटाती है तो भाजपा उसके खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू करेगी। उन्होंने कहा कि गोहत्या पर बयान देने की जगह कांग्रेस उन पांच गारंटियों को राज्य के लोगों को मुहैया कराने के लिए काम करे जिसका वादा कर वह सत्ता में आए हैं।