अजमेर। युवा वह है, जो भविष्य की चिंता करता है और जीवन में निरंतर मुस्कुराहट और उत्साह से आगे बढ़ता है। यह बात शिक्षाविद् एवं प्रेरक मुकुल कानिटकर ने महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर के पृथ्वीराज चौहान सांस्कृतिक शोध केन्द्र के द्वारा आयोजित सांस्कृतिक मूल्यों के वाहक युवा विषय पर बोलते हुए कही।
उन्होंने स्वामी विवेकानंद के विचारों का संदर्भ देते हुए कहा कि मनुष्य का जीवन अत्यंत दुर्लभ है और इसे सार्थक बनाने का एकमात्र मार्ग है सेवा, त्याग और राष्ट्र के प्रति समर्पण। भारतीय संस्कृति, जिसमें आत्मीयता, त्याग और ‘तेरा ही सब कुछ है’ की भावना निहित है, वही हमें श्रेष्ठ बनाती है। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे केवल ‘पाने’ के लिए नहीं, बल्कि ‘देने’ के लिए जिएं। जीवन का असली मूल्य इस बात से तय होता है कि हम समाज और राष्ट्र को कितना योगदान देते हैं।
कानिटकर ने कहा कि भारतीय होना सौभाग्य है और हर युवा को कम से कम कुछ वर्षों तक राष्ट्रसेवा में पूर्ण समर्पण करना चाहिए। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे भारतीय संस्कृति की सरलता, निस्वार्थ सेवा और त्याग की परंपरा को आज के समय में जीवंत रखने का संकल्प लें।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार रखते हुए स्वदेशी चिंतक प्रो भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि भारत का सांस्कृतिक ताना-बाना धर्म आधारित नियमों, नैतिकता और स्वेच्छा से पालन के मूल्यों से निर्मित है, जहां प्राचीन युग में भी धर्म की मर्यादाओं के कारण युद्धरत सैनिक भी आम नागरिकों को हानि नहीं पहुंचाते थे। भारत की संस्कृति न केवल आध्यात्मिक है, अपितु वैज्ञानिक और ज्ञानप्रधान भी है, जिसमें प्रत्येक शब्द तथा सिद्धांत में गहराई से अर्थ और विज्ञान छिपा है। उन्होंने बताया कि युवाओं के अधूरे विकास के लिए आवश्यक है कि वे ज्ञान और संस्कारों को जीवन में दृढ़ करें, और भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों को अपनाएं।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो सुरेश कुमार अग्रवाल ने कहा कि यदि संस्कृति का पालन नहीं किया गया तो युवा अराजक, विनाशकारी भी बन सकता है। उन्होंने युवाओं को समाजसेवा, त्याग और दायित्वपूर्ण जीवन का संदेश देते हुए युवाओं को संस्कृति के संरक्षण से जुड़कर राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में विषय प्रवर्तन शोध केन्द्र के निदेशक प्रो अरविंद पारीक ने किया तथा आभार ज्ञापन कुलसचिव प्रिया भार्गव ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राजू शर्मा ने किया। इस अवसर विश्वविद्यालय की वित्त नियंत्रक नेहा शर्मा, परीक्षा नियंत्रक डॉ. सुनील टेलर, जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. अनिल सामरिया, विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी, सामाजिक कार्यकर्ता एवं छात्र छात्राएं उपस्थित थे।