प्रदर्शनी में मोदी सरकार ने इतिहास को लेकर दिखाई भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं से ज्यादा ईमानदारी

सबगुरु न्यूज-सिरोही। चुनावी भाषणों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, टीवी डिबेट पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता, सोशल मीडिया पर भाजपा की आईटी सेल इतिहास को लेकर चाहे जो जुबानी जमाखर्च करते हों।
लेकिन, इस बात को लेकर केंद्र मोदी सरकार की तारीफ करनी होगी कि दस्तावेजी होने वाले कार्यक्रमों में ईमानदारी दिखाती है। इतिहास को लेकर ये ईमानदारी केंद्रीय सूचना ब्यूरो के प्रादेशिक  कार्यालय के द्वारासिरोही में लगाई प्रदर्शनी में भी दिखी।
– तीन-तीन नेहरू को मिला स्थान
आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान सिरोही के राजकीय महाविद्यालय में जो प्रदर्शनी लगाई गई है उसमें 1957 से लेकर 1947 तक के आजादी के सिपाहियों का बैनर लगाया गया है। आश्चर्य की बात है कि आजादी में भूमिका को लेकर दिन रात जिन नेहरू को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा और आईटी सेल कोसते रहते हैं उनके परिवार के एक नहीं बल्कि तीन तीन लोगो की तस्वीरें प्रदर्शित की गई हैं।

इनमे जवाहरलाल नेहरू और उनके पिता मोतीलाल नेहरू व जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू की तस्वीरें शामिल हैं।

सिरोही में केंद्रीय सूचना एवम जनसंपर्क मंत्रालय द्वारा लगाई प्रदर्शनी/

– जबरन नहीं डाली ये तसवीरें
भाजपा के सभी नेता वीडी सावरकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके सन्गठन का पितृ पुरुष मानते हैं। आजादी के आंदोलन के समय ये दोनों ही मौजूद थे। लेकिन, हमेशा सावरकर के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान की पैरवी करने वाली भाजपा की मोदी सरकार ने इस बैनर में स्वतंत्रता आंदोलन के सिपाहियों में इनकी तस्वीरें जबरन नहीं घुसाई। यूँ जेल जाने से पूर्व सावरकर की क्रांतिकारी के रूप में भूमिका और उनके समर्पण को कोई भी व्यक्ति नकार नहीं सकता।

लेकिन, कहा जाता है ‘ना कि अंत भला तो सब भला’, जेल से छूटने के बाद से भारत के आजाद होने तक के समय की भूमिका ने उन्हें इतना विवादित बना दिया है कि विपक्ष अब राष्ट्रवाद और देशभक्ति की बात करने पर भाजपा को इनकी भूमिका से ही टारगेट करती है।

उन्हें विवादित बनाने में सबसे बड़ी भूमिका भाजपा के मोदी युग में खुद प्रधानमंत्री मोदी, उनके नेताओं और कार्यकर्ताओं का है। वो उनकी सरकार की गलत नीतियो का विरोध करने वाले हर व्यक्ति को राष्ट्रद्रोह का सर्टिफिकेट बांटने की एजेंसी नहीं खोलती तो उन्हें काउंटर करने के लिए विपक्ष सावरकर, मुखर्जी और हेडगेवार पर इस तरह से हमलावर होता। सब वैसा ही चलता जैसा 1947 से 2014 तक चल रहा था।