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जयपुर में ब्रिक्स महिला सांसद सम्मेलन का समापन

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जयपुर में ब्रिक्स महिला सांसद सम्मेलन का समापन
BRICS women's conference in Jaipur
BRICS women's conference in Jaipur
BRICS women’s conference in Jaipur

जयपुर। दो दिवसीय ब्रिक्स महिला सांसदों के सम्मेलन का रविवार को जयपुर में समापन हुआ। समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा कि महिलाओं में काफी क्षमताएं हैं जिन्हें पहचानने की जरूरत है।

विकास के पथ पर महिलाएं पुरूषों की प्रतिद्वन्द्वी नहीं बल्कि उनकी पूरक हैं। दोनों मिलकर साथ चलें तो कई बदलाव लाए जा सकते हैं। राजे ने कहा कि आज महिलाएं पर्यटन एवं महिला व बाल विकास जैसे क्षेत्रों तक सीमित नहीं है बल्कि वे वित्त जैसे चुनौतीपूर्ण कार्य भी बखूबी अंजाम दे रही हैं।

राजस्थान जैसे प्रदेश में स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण लागू होने के बाद महिलाएं घूंघट से बाहर आई हैं और उन्होंने नीति-निर्माण की प्रक्रिया में भी सक्रिय भूमिका निभाना शुरू कर दिया हैं।

उन्होंने कहा कि पंचायतीराज संस्थाओं में उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता लागू करने की हमारी पहल के बाद युवाओं और महिलाओं का प्रतिनिधित्व इसमें बढ़ा है। आज शिक्षित जनप्रतिनिधि नीचे के स्तर तक सरकारी योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिमी देशों में महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हैं लेकिन राजस्थान देश का पहला राज्य है, जिसने महिलाओं को वित्तिय रूप से सशक्त बनाने की पहल की और 2007 में भामाशाह योजना लागू की। इसमें परिवार की मुखिया महिला को मानकर भामाशाह कार्ड बनाया जाता है, जिसके माध्यम से अब बिना किसी छीजत या भ्रष्टाचार के विभिन्न योजनाओं का पैसा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए सीधे उनके बैंक खातों में जाता है।

राजस्थान को डेजर्ट स्टेट कहा जाता है। यहां पानी की समस्या सबसे ज्यादा है। इसी को ध्यान में रखकर हमारी सरकार ने ’मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान’ चलाया जो कि एक जन आंदोलन बन गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ब्रिक्स देशों में दुनिया की 43 प्रतिशत आबादी रहती है। इन देशों के समक्ष विकास की चुनौतियां और यहां के निवासियों की आशाएं एवं आकांक्षाएं एक जैसी हैं। इन देशों में गरीबी को दूर करने के लिए संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है।

हमें अपने नागरिकों के सुखद भविष्य के लिए साथ मिलकर काम करने, एक दूसरे से सीखने के साथ-साथ अपने अनुभव साझा करने होंगे। ब्रिक्स के सदस्य देश साथ मिलकर काम करेंगे तो दुनिया में हालात बदले जा सकते हैं।

राजे ने उम्मीद जताई कि ब्रिक्स महिला सांसदों की दो दिवसीय बैठक दूरियों को पाटने के साथ सतत् विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में अहम होगी। उन्होंने कहा कि बैठक में आज पारित हुए जयपुर घोषणा पत्र में सतत् विकास लक्ष्यों के प्रति जो संकल्प लिए गए हैं, उन्हें पूरा करने की दिशा में सभी सदस्य देश मिलकर प्रयास करेंगे। उन्होंने जयपुर को इस बैठक की मेजबानी का मौका देने के लिए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन का आभार व्यक्त किया।

लोकसभा अध्यक्ष ने आशा व्याक्त की कि बैठक के दौरान तीन महत्वापूर्ण विषयों अर्थात सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वोयन के बारे में परिदृश्य‍, सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्तियां– नागरिकों को सहभागी बनाने में महिला सांसदों की भूमिका और जलवायु परिवर्तन की रोकथाम-वैश्विक सहयोग की अनिवार्यता पर किए गए विचार-विमर्श से महिला सांसद अपने विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए नियमित रूप से मिलने हेतु प्रोत्साहित होंगी। ताकि इस विषय पर अधिक गहन जानकारी प्राप्त हो सके और नीति निर्माताओं के रूप में उनके समक्ष आ रही समस्याओं और चुनौतियों पर एक व्यापक दृष्टितकोण विकसित किया जा सके।

उन्होंने कहा कि सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की ओर हमारे प्रयासों के संदर्भ में पहला विषय काफी महत्व रखता है और यह सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति का मार्ग है। हमारे प्रयासों से देशों के भविष्य को परिवर्तित करने तथा प्रकृति के साथ सौहार्द स्थापित करते हुए अर्थपूर्ण विकास के मार्ग पर ले जाने की क्षमता है।

सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति–नागरिकों को सहभागी बनाने में महिला सांसदों की भूमिका पर महाजन ने कहा कि यह विकासात्मक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यदि इसे समानतापूर्ण, सतत और प्रभावी बनाना है तो विकास में महिलाओं व पुरुषों का समावेश होना चाहिए। अत: सतत विकास की प्रणाली में समानता को मुख्य धारा में शामिल करना सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

लोकसभा अध्यक्ष ने जलवायु परिवर्तन की रोकथाम- वैश्विक सहयोग की अनिवार्यता का उल्लेख करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन संपूर्ण मानवता का प्रभावित करता है किन्तु साथ ही, हमारे पास विकासशील देशों के तौर पर हमारी अपनी चुनौतियां हैं। समापन समारोह को राजस्थाान की मुख्यहमंत्री वसुंधरा राजे ने भी संबोधित किया।

इससे पहले प्रतिभागियों ने ‘जलवायु परिवर्तन की रोकथाम- वैश्विाक सहयोग की अनिवार्यता’ विषय पर चर्चा में भाग लिया। प्रतिभागी इस बात पर एकमत थे कि जलवायु परिवर्तन समूची मानवता के लिए एक गंभीर तथा वैश्विक चुनौती बन गया है और इसके हानिकारक प्रभावों को कम करने के लिए विश्वस्तर पर सहयोग की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन से महिलाएं तथा बच्चे सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं।

अतएव, यह अनिवार्य है कि सभी देश स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा के वैकल्पि्क स्रोतों का प्रयोग करें और कार्बन डाई ऑक्सााइड के उत्सर्जन को कम करने के लिए समय रहते कदम उठाएं। प्रतिभागियों ने विकसित देशों से आह्वान किया कि वे जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निबटने के लिए विकासशील देशों को और अधिक वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराएं।

उनका यह भी मत था कि महिलाएं अपने स्थानीय ज्ञान व विशेषज्ञता तथा पर्यावरण के प्रति अधिक जागरुक होने के कारण इस दुष्कर चुनौती से निपटने के बड़ी भूमिका निभा सकती हैं।

समापन समारोह में दक्षिणी अफ्रीका की राष्ट्रीय प्रांतीय परिषद की अध्यक्ष टी.आर मोदिसे, रूस की काउंसिल ऑफ फैडरेशन की उपाध्यक्ष गलिना कारालोवा, ब्राजील के प्रतिनिधिमंडल की प्रमुख प्रो. डोरिना सेब्रा रेजेन्दे, चीन के प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्ष मिस वेन मा, लोकसभा महासचिव अनूप मिश्रा समेत कई प्रतिनिधि मौजूद थे।