Home India City News बनारस के घाटों पर होती है अखाड़ों की अनोखी दीपावली

बनारस के घाटों पर होती है अखाड़ों की अनोखी दीपावली

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बनारस के घाटों पर होती है अखाड़ों की अनोखी दीपावली
celebration of unique Diwali at Ganga ghats in Varanasi
  celebrate of unique Diwali at Ganga ghats in Varanasi
celebration of unique Diwali at Ganga ghats in Varanasi

वाराणसी। बनारस के घाटों पर हजारों दिये जल उठते हैं और मन प्रफुल्लित हो उठता है, ऐसा मनोरम दृश्य दीपावली की शाम के बाद देखा जाता है। इससे भी अद्भुत और अनोखी दीपावली बनारस के घाटों पर अखाड़ा परम्परा के साधु करते हैं।
उल्लेखनीय है कि बनारस के घाटों पर स्थित अखाड़ों में पंचदेव को प्रसन्न करने वाली पूजा और रोशनी से लक्ष्मी पूजन होता है। गंगा नदी के किनारे दो घाटों हनुमान घाट पर पंचदशनाम जूूना अखाड़ा एवं दशाश्वमेध घाट पर आह्वाहन अखाड़ा और शहर में कतुआपुरा इलाके में पंचअटल अखाड़ा स्थित है।

यहां दीपावली के दिये तो सुबह से ही जल जाते हैं। लक्ष्मीपूजन होता है। रोशनी से मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है। पंचकृपरमेश्वर की पूजा विधिवत की जाने के बाद प्रसाद का वितरण होता है।

दिन में अखाड़ों के चारो कोनों और सभी कोण पर दिये जलाने के बाद उन्हें देशी घी देते रहते है। पांच रंग के फूलों से माला बनाकर इष्टदेव को चढ़ाया जाता है। अखाड़ों में साधु व नागा दिनभर पूजन कार्य में व्यस्त रहते है, बावजूद इसके अखाड़ा के भीतर की गतिविधि का बाहर के लोगों का पता तक नहीं चल पाता है। न ही बाहर के लोगों का अखाड़े में प्रवेश होता है। प्रसाद वितरण के समय मुख्य द्वार पर खड़े हो कर साधु वितरण करते हैं।
आह्वाहन अखाड़ा के सत्यगिरी  महाराज ने बताया कि अखाड़ा तो सदैव से देवी अराधना कर रहा है। हवन होता है और दीपावली के दिन भी देवी प्रसन्न करने के लिए हवन पूजन किया जाता है। भोग लगने के बाद प्रसाद भी देते हैं।
पंच अटल अखाड़ा के महंत उदयगिरी महाराज ने बताया कि अखाड़ा के भीतर देवी पूजन को विधिवत किया जाता है। अराधना के समय सभी मंत्रों से प्रफुल्लित रहते है। देवी पूजा के बाद विशेष अराधना होती है। पांच प्रकार के फूलों की माला गुंथने के बाद उसे अर्पण किया जाता है।
उन्होंने बताया कि पंच अखाड़ों में पंच की पूजा आवश्यक है। दीपावली पर साधु अपने देव को पूजते है। हवन इत्यादि कर के आरती होती है। तब प्रसाद वितरण होता है। फल और मिठाई से ही भोग लगता है और उसे प्रसाद स्वरूप दिया जाता है।
पंचदशनाम जूना अखाड़ा के एक साधु ने बताया कि इस अखाड़े को भैरव अखाड़ा भी कहते है। यहां सिर्फ लक्ष्मी पूजन नहीं होता है। दीपावली के दिन इष्ट देव भैरव की पूजा भी होती है। नागा साधुओं की अलग पूजा होती है। हनुमान घाट पर स्थित अखाड़े में सभी लोगों को आना मना है। सिर्फ अखाड़ा स्वामी ही प्रवेश कर सकते है। दिये जलाकर विजय पर्व मनाते है लेकिन प्रमुख दिया ढका रहता है।