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ढलती रात और राजा तथा बैताल की बात

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ढलती रात और राजा तथा बैताल की बात

सबगुरु न्यूज। रात ढलती रही, राजा और बैताल बातों मे उलझते रहें। राजा कहता है कि मैं भूत प्रेत और बैताल को नहीं मानता हूं क्योकि यह सब अंधविश्वास हैं। मरने के बाद आत्मा से हमारा कोई रिश्ता नहीं रहता। हमारे पूर्वजों की स्मृतियां बनीं रहे इसलिए हम उसके मृतक कर्म ओर श्राद्ध आदि करते हैं और आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

यह बात सुनकर बैताल को खूब हंसी आई और वह बोला कि हे राजन जब हम जिन्दा थे तो हम भी यही कहा करते थे लेकिन उसके बाद की दुनिया में हम समझ चुके हैं ये दुनिया, आत्मा की नहीं, केवल इंसान की पूजा करती है और मृत हो जाने पर उसकी लाश को ठिकाने लगा कर अपना सहयोगी जाने के लिए भविष्य में अब उससे कोई सहयोग नहीं मिल सकेगा इसलिए शोक मनाती हैं।

इतना ही नहीं राजन इन मृतक व्यक्तियों की तसवीर और चेहरे को लेकर अपना स्वार्थ साधती है, आत्मा को लेकर नहीं। तब राजा बोला कि हे बेताल तुम फिजूल की बातें कर रहे हो। अगर तुम वास्तव में आत्मा हो और बैताल हो तो मेरे राज्य की सीमा पर शत्रुओं का पूर्ण विनाश कर दो।

बैताल ठहाके मार कर हंसने लगा और बोला हे राजन जब तुम जिन्दा शरीर धारियों के लिए बिना स्वार्थ के लिए कुछ भी नहीं कर रहे और हम मृतकों से लाभ लेने की बात करतें हो वह भी हमें बिना अस्तित्व का मान कर मृत आत्मा से कोई रिश्ता नहीं रख कर।

राजन तुम भगवान को मानते हो, जाओ और अपने भगवान से प्रार्थना करो कि तुम्हारे राज्य में कोई संकट न आए और सभी प्राणी जन सुखी और समृद्ध रहे। राजा बोला कि हे बेताल भगवान कोई मूर्ति से निकल कर थोड़ी आएगी, करना तो हमें ही पडेगा।

बैताल फिर हंसा ओर बोला राजन तुम हमें अंधविश्वास कहते हो और भगवान की मूरत पर तुम्हें विश्वास नहीं। कोई बात नहीं, आत्म विश्वासी बनो और अपना राज्य खुद संभालो। अब चूंकि रात बीत चुकी है तुम्हारी भी और हमारी भी। अब तुम अपने कर्मो का फल पाओ ओर मैं भुगतने के लिए चल पडा।

राजा की आंखें खुल गई और सुबह का सूरज निकल पडा, राजा बैताल की बातें याद करके असमंजस में पड गया।

संत जन कहते हैं कि हे मानव तू तो उचित कर्म कर्म कर, अतिविश्वास और अंधविश्वास तो केवल मानवी सोच है, जो वक्त के साथ व्यक्ति बदलता रहता है। लाभ मिलने पर साधू और नहीं मिलने पर शैतान बोलेगा।

सौजन्य : भंवरलाल