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वो इसां को क्या छोडेगा

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वो इसां को क्या छोडेगा

सबगुरु न्यूज। राज करने की नीति में धर्म, आस्था, श्रद्धा तथा आध्यात्मिकता उस अनाथ बालक की तरह होती है जो दर दर भटक कर अपने को जीवित रखने के हर संभव प्रयास करता है। अपने इस बाल्यकाल में यह हर मौसम में अपने शरीर को पकाता हुआ बडा होता जाता है और युवा होने पर समाज के हर कानून कायदों व आदर्शों को मिट्टी के भगवान पर चढे कच्चे रंगों की तरह से मानता हुआ दुनिया की हकीकत को पूरी तरह से समझ जाता है।

आस्था, श्रद्धा और विश्वास को राज करने की नीति कई रंगों में रंग देती हैं और हर रंग का इस्तेमाल वह अपने ही हितों को साधने के लिए करती है। इन मिट्टी के भगवानों को महापंडालों में सजाकर पहले आस्था और श्रद्धा को इनका दास बना दिया जाता है, बाद में मिट्टी के ये भगवान मात्र मिट्टी व जहरी रंगों की आड में शहर के बाहर फिंकवा दिए जाते हैं। धर्म और विज्ञान की इस लडाई में फिर मिट्टी के भगवान हार जाते हैं और विज्ञान की सीढ़ियों पर राज करने की नीति बखानी जातीं हैं।

मिट्टी के भगवान में भारी आस्था भरकर पहले भगवान के नाम को धोखा दिया जाता है और बाद में इन्हें शहर के बाहर फिंकवा कर अंध-विश्वास की दलील दे इंसान को धोखा दिया जाता है। इस पूरे ही खेल में भगवान और इंसान दोनों ही ठग लिए जाते हैं। राज करने की नीति जहरीली मुस्कराहट के साथ हाथ जोड खडी हो जातीं हैं।

संत जन कहते हैं कि हे मानव, सत्य क्या है इस झमेले से दूर रह, क्योंकि कोई भी विज्ञान और धर्म दर्शन केवल अपनी-अपनी मान्यताओं पर अपने कर्म को अंजाम देते हैं जबकि सत्य क्या है इसका भान केवल तेरी आस्था और श्रद्धा ही करा सकती है। तेरे अंदर जो महामानव आत्मा के रूप में बैठा है और जिसके कारण तू इस दुनिया में जिन्दा हैं केवल उसको बनाने वाला ही सत्य को बता सकता है।

इसलिए हे मानव तू आस्था और विश्वास को किसी भी नीति से मत जोड और अपने कर्म को निष्काम भाव से कर। इस दुनिया में तेरा आना सार्थक हो जाएगा।

सौजन्य : भंवरलाल