Home India City News आस्था के रथ पर सवार मौसीबाड़ी मंदिर गए भगवान जगन्नाथ

आस्था के रथ पर सवार मौसीबाड़ी मंदिर गए भगवान जगन्नाथ

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आस्था के रथ पर सवार मौसीबाड़ी मंदिर गए भगवान जगन्नाथ
ranchi : Lord Jagannath comes Mausi bari temple
ranchi : Lord Jagannath comes Mausi bari temple
ranchi : Lord Jagannath comes Mausi bari temple

रांची। बारिश की फुहारों और श्रद्धालुओं के सैलाब के बीच भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा तथा भाई बलराम को बुधवार सुबह जगन्नाथपुर मंदिर में भोग लगाया गया। इसके बाद विधि-विधान से उनकी पूजा अर्चना की गई और भगवान का द्वार आम लोगों के दर्शनार्थ खोल दिया गया।

सुबह चार बजे से जगन्नाथपुर मंदिर में लगी श्रद्धालुओं की भीड़ भगवान का दर्शन करने को टूट पड़ी। दर्शन का सिलसिला और पूजा अर्चना दोनों साथ में हुई। सुबह पांच बजे महाआरती के साथ भगवान दर्शन मंडप में में विराजे। इसके बाद श्रद्धालुओं ने उनके दर्शन किए।

दर्शन का सिलसिला अनवरत दोपहर दो बजे तक चला। इस दौरान एक-एक कर श्रद्धालुओं ने उनके दर्शन किए। बुधवार से शुरु हुआ जगन्नाथपुर मेला नौ दिनों तक चलेगा। दोपहर दो बजे विग्रहों को रथ पर आरुढ़ कराया गया। इसके बाद भगवान के एक हजार नाम का जाप और लक्ष्यार्चना हुई। इसके बाद समय आया पूजा के क्लाइमेक्स का।

शाम साढ़े चार बजे ऐतिहासिक रथ यात्रा शुरु हुई और श्रद्धालुओं में भगवान का रथ खींचने की होड़ लग गई। सुबह की बारिश अब तक छंट चुकी थी और मौसम सुहाना हो गया था। शाम सात बजे तक श्रद्धालुओं ने विग्रहों के रथ को मौसीबाड़ी पहुंचा दिया। सुबह से ही मेला परिसर श्रद्धालुओं से अटा पड़ा था।

मंदिर के मुख्य पुजारी ब्रजभूषण नाथ मिश्रा ने बताया कि भगवान श्री जगन्नाथ के दर्शन मात्र से लोगों के दुख मिट जाते हैं। भगवान के दरबार में कर्म की नीति नहीं चलती वहां प्रभु की कृपा बरसती है। प्रभु जगन्नाथ के दरबार में कृपा ही कर्म है।

श्री जगन्नाथ जगत के स्वामी हैं और उनकी पूजा से व्यक्ति का पुरुषार्थ सिद्ध होता है। मेले में भगवान के दर्शन के साथ मनोरंजन का भी पूरा इंतजाम है। मेले में दूरदराज के क्षेत्रों से आए सैकड़ों लोगों ने विभिन्न तरह के स्टॉल लगाए हैं।

दर्शनार्थी भी उनका जमकर आनंद लेते दिखे। मेले में किसी को मौत का कुआं देखना था तो किसी को झूले का मजा लेना था। बारिश के दौरान भी लोगों ने मेले का जमकर मजा उठाया।

रथयात्रा में उमड़नेवाली भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। मंदिर मार्ग में वाहनों के आवागमन पर रोक लगा दी गयी थी वहीं धुर्वा से रांची आने-जाने वाले रूट को डायवर्ट कर दिया गया है ताकि लोगों को परेशानी ना हो।

मेले में उमड़ी भीड़ को देखते हुए ऑटो और मिनीडोर वालों ने किराया बढ़ा दिया था। मेले में पारंपारिक वाद्य यंत्र ढोल और नगाड़ा के अलावा मछली पकड़ने की कुमनी और तीर-धनुष भी खूब बिके। लोगों ने मेले में लगे स्टॉलों में चाट-पकौड़ी और फुचके का भी जमकर आनंद लिया। वहीं चौमिन के ठेलों पर भी भीड़ लगी रही।

गौरतलब है कि जगन्नाथपुर स्थित 335 साल पुराने भगवान जगन्नाथ मंदिर का निर्माण बड़कागढ़ के राजा ठाकुर ऐनीनाथ शाहदेव ने कराया था। यह रथयात्रा ऐतिहासिक मानी जाती है क्योंकि विदेशी लेखक विलियम हंटर ने अपनी किताब स्टैस्टिकल एकाउंट ऑफ बंगाल के खंड 18 पृष्ठ 322 में रथयात्रा का उल्लेख किया है। विलियम हंटर ने 1877 में मेला देखा था।

राजकवि बेनीराम ने भी नागवंशी वंशावली में मंदिर की महिमा का गुणगान किया है। जगन्नाथपुर की रथयात्रा के संबंध में मान्यता है कि सभी भक्त मंदिर में भगवान के विग्रहों का दर्शन नहीं कर पाते हैं। ऐसे में जनसाधारण को दर्शन देने के लिए भगवान रथ पर सवार होकर रथयात्रा पर निकलते हैं।