Home Headlines जीवन में आत्मिक गुणों को पहचानिए : रूपमुनि

जीवन में आत्मिक गुणों को पहचानिए : रूपमुनि

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नाडोल। लोकमान्य संत वरिष्ठ प्रवर्तक शेरे राजस्थान रूपमुनि महाराज ने कहा कि जीवन मे कर्म के क्षेत्र में धर्म का अंकुर लगाइए, आप जड़ नहीं चेतन हैं। चैतन्य का प्रकाश मनुष्य में है।

roop muni maharaj address during chaturmas in nadol pali
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वे मुक्ता मिश्री रूपसुकन दरबार मे शनिवार को आयोजित धर्मसभा मे प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने ने कहा कि उन आत्मिक गुणों को पहचानिएं अपनी स्वयं की शक्ति को उदघटित कीजिए और जीवन मे सफलता प्राप्त कीजिए।

युवा मनीषी डॉ. दीपेशमुनि निराला ने कहा कि जरा शरीर के अन्दर  प्रवेश करिये, आपका शरीर स्वयं ही छ:नील कोशिकाओ का महासागर है और इन कोशिकाओ में अनेक शक्तियां भरी पड़ी है। एक वैज्ञानिक अनुमान के अनुसार यदि 450 ग्राम पुइगल उव्य को पूर्ण रूप से उर्जा में परिवर्तित किया जा सके तो उतनी ही शक्ति प्रदान होगी जितनी 14 लाख टन कोयला जलाने पर प्राप्त होती हैं। इसी से लनुमान लगाइए कि आपके शरीर मे कितनी शक्ति छिपी पड़ी है, आपके पास कितना बड़ा शक्ति का कन्द्र है।

बालयोगी अखिलेश मुनि ने कहा कि मानसिक शक्ति तो आपके पास असिमित है ही आपका मस्तिष्क जिसका क्षेत्रफ ल सामन्यता लगभग 26 इंच और भार 1.5किलो ही है 14 •शेड कोशिका तन्त्र और 14 अख 5 लाख ज्ञान तत्तुओं का  भण्डार है इसमे असिमित ज्ञान और क्रिया की क्षमताएं भरी पड़ी है।

बाहर से आए भक्तोंका रूपसुकन चातुर्मास समिति नाडोल के अध्यक्ष कांतीलाल जैन, महामंत्री हितैष चौहान, संयोजक जयचन्द कटारिया, सहमत्री जगदीशसिहं राजपुरोहित, उपाध्यक्ष देवीचन्द बोहरा, सह संयोजक पोमाराम चौधरी, किशोर अग्रवाल, नथमल गांधी, छगनलाल मेवाडा, उमाराम चौधरी, रूपमुनि महाराज के निजि सचिव नरेन्द्र देवासी सहित समिति सदस्यों द्वारा शॉल व माल्यार्पण से स्वागत किया गया मंच सचालन महावीरचन्द बोरून्दिया जसनगर ने किया।

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