Home Bihar संतों की वेशभूषा वाले ‘मायावियों’ का बहिष्कार हो : महंत दुर्गादास

संतों की वेशभूषा वाले ‘मायावियों’ का बहिष्कार हो : महंत दुर्गादास

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संतों की वेशभूषा वाले ‘मायावियों’ का बहिष्कार हो : महंत दुर्गादास
The boycott of saints 'costumes': Mahanta Durgadas
The boycott of saints 'costumes': Mahanta Durgadas
The boycott of saints ‘costumes’: Mahanta Durgadas

पटना : श्रीसंत पंचपरमेश्वर पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण भ्रमणशील जमात के मुखिया महंत दुर्गादास का मानना है कि संतों के वेशभूषा में बहुत सारे छद्म लोग हैं, इनका सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज इन लोगों की वजह से समाज दिग्भ्रमित हो रहा है।

बिहार दौरे पर आए महंत दुर्गादास ने साथ विशेष बातचीत में कहा कि संत बनने की प्रक्रिया काफी जटिल होती है, इसका अनुसरण बहुत कम ही लोग कर पाते हैं। उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि उदासीन संप्रदाय में संत बनने के साथ ही अर्थ, धर्म, काम और सब कुछ ईश्वर को अर्पित करते हैं। संतों के 13 अखाड़ों ने, जिसे ‘अखाड़ा परिषद’ कहते हैं, भी फैसला लिया है कि छद्म वेशधारी पर लगाम लगनी चाहिए। इसकी निगरानी भी परिषद् कर रही है।

उदासीन संप्रदाय की स्थापना 518 वर्ष पूर्व आचार्य जगद्गुरु श्री श्रीचंद्रजी महाराज ने की थी। 300 वर्ष पहले इस अखाड़े की स्थापना महंत प्रीतमदासजी ने की थी। देश में सैकड़ों शाखाओं वाले इस उदासीन संप्रदाय से 12 हजार से अधिक संत जुड़े हुए हैं, जिसका मुख्यालय इलाहाबाद में है।

इस संप्रदाय के संत पंचदेव के उपासक होते हैं। इस संपद्राय के उपासक की पहचान उनके सिर पर जटा से होती है। उदासीन अखाड़ा को राष्ट्रसेवा व शिक्षा के प्रचार-प्रसार में अग्रणी माना जाता है।

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देशभर में 135 से ज्यादा कलेज स्थापित करने वाले अखाड़े के प्रमुख दुर्गादास कहते हैं कि सनातन धर्म की रक्षा और इसके प्रति जागरूकता पैदा करना इस संप्रदाय का मुख्य मकसद है।

आज के आधुनिक समय में 16 संस्कार गौण होते जा रहे हैं। ये संस्कार लोगों में नैतिक मूल्यबोध कराते हैं। गीता और रामायण का पाठ जरूरी है। ये आदर्श के लिए प्रेरित करते हैं और धर्म का वास्तविक स्वरूप का साक्षात्कार कराते हैं।

उन्होंने भारतीय संस्कृति की चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति का मतलब गंगा, गीता, गौ और संतों का सम्मान है। गंगा को तो राष्ट्रीय नदी का दर्जा दे दिया गया है, लेकिन इसकी निर्मलता और अरिवलता की दिशा में बहुत किया जाना बाकी है।

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उन्होंने लोगों से गंगा की स्वच्छता के प्रति जागरूक होने की अपील करते हुए कहा कि इस नदी में ही नहीं, किसी जलाशय में कचरा नहीं डालना चाहिए। गंगा में गाद के कारण उसका प्रवाह बाधित हुआ है।

हाल के दिनों में गोरक्षकों के नाम पर हिंसा को गलत बताते हुए उन्होंने कहा कि गोहत्या की वकालत कोई धर्म नहीं करता है। गोसंरक्षण सिर्फ धर्म से जुड़ा ही नहीं, बल्कि यह अर्थव्यस्था का आधार है। हालांकि उन्होंने कहा कि इसके नाम पर हिंसा को कतई सही नहीं ठहराया जा सकता।

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अयोध्या में राम मंदिर के सवाल पर उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण न सिर्फ भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए गौरव की बात होगी। इससे इस बात का संदेश पूरी दुनिया में जाएगा कि भारत में सभी धर्मो का सम्मान होता है।

बिहार में लागू शराबबंदी को उन्होंने एक साकारात्मक कदम बताया और इस दिशा में दूसरे राज्यों मे भी पहल किए जाने की जरूरत है। उन्होंने इसके लिए कानून के साथ-साथ समाज में जागरूकता पैदा करने की जरूरत बताई।

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