कल सजा ली राजनीति की दुकान, अब भले होता रहे महापुरुषों का अपमान

लोकार्पण के बाद भी महापुरुषों की मूर्तियों पर सूख रही माला और जमी धूल।
लोकार्पण के बाद भी महापुरुषों की मूर्तियों पर सूख रही माला और जमी धूल।

सबगुरु न्यूज-सिरोही। जिला मुख्यालय पर रविवार को फिर से इवेंट हुआ। लोगों का जबरदस्त मजमा लगाया गया और इस मजमे के बीच पांच महापुरुषों की मूर्तियों का लोकार्पण किया गया।

सिरोही विधायक संयम लोढ़ा रविवार को इन मूर्तियों पर अपनी राजनीति की दुकान सजाकर सोमवार को उन्हें भूल गए। जिससे इन मूर्तियों पर, जिनमें भगवान परशुराम की भी मूर्ति शामिल थी, 24 घंटे बाद सूखे फूलों की माला चढ़ी रही। जबकि मूर्ति के नीचे ही लिखा हुआ था भगवान परशुराम। ये स्थिति सिर्फ यहीं की हो ऐसा नहीं है। तीन बत्ती चौराहे पर एपीजे अब्दुल कलाम की मूर्ति पर सोमवार शाम तक सूखे फूलों की माला लगी रही।

हद तो ये थी कि पिछले बुधवार को तीन गांधी उद्यान के पास मुख्य मार्ग पर राव सुरतान की मूर्ति का भी लोकार्पण किया गया था। इनकी मूर्ति पर भी सूखी मालाएं आज छह दिन बाद तक लगी रही है। इन मूर्तियों और इनके पेडस्टल पर धूल की परत जमी हुई थी, जिसकी सफाई तक नहीं हुई।

ऐसा नहीं है कि सरोही विधायक इन मूर्तियों के सामने से निकले नहीं होंगे, शिवगंज से सिरोही आते हुए और सिरोही से शिवगंज जाते हुए दो बार तो महाराव सुरताण और एपीजे अब्दुल कलाम की मूर्तियों पर इनकी नजर हर हाल में पड़ी होगी। इसके बाद भी इन्होंने या इनके साथ फोटोसेशन करवाने वाले किसी व्यक्ति ने इन मूर्तियों की सफाई पर ध्यान दिया हो।
– होती है हर दिन सफाई
महापुरुष पुरखों के समान हैं। श्राद्ध पक्ष में रविवार को जिन मूतियों का लोकार्पण किया गया श्राद्ध पक्ष में ही उन्हें अपमानित कर दिया गया। उनमें से भगवान परशुराम और महात्मा बुद्ध तो को भगवान के समकक्ष दर्जा प्राप्त है, इन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। घरों और मंदिरों में स्थापित भगवानों और पुरखों की मूर्तियों पर हर दिन सफाई होती है। शाम होते ही सूखे फूल हटाए जाते हैं। लेकिन, यहां चौबीस घंटे होने के बाद भी इन महापुरुषों की मूर्तियों की सफाई नहीं की गई।

वोटों की फसल काटने के लिए हर जाति को खुश करने के लिए सिरोही में उन चौराहों पर महापुरुषों की मूर्तियां स्थापित कर दी गईं जहां पर दिनभर वाहनों की आवाजाही के कारण धूल उड़ती रहती हैं। जिन सडक़ों पर मौजूद मकानों के झाडू लगाने के एक घंटे में दरवाजा बंद होने पर धूल की परत जम जाती है वंहां खुली मूर्तियों केा दिनभर मे क्या स्थिति होगी ये समझने के लिए रॉकेट साइंस पढऩे की जरूरत नहीं है।

सौदर्यीकरण के नाम पर महापुरुषों को इस तरह से अपमानित करने की बजाय इन स्थानों पर अन्य फैंसी मूर्तियां भी स्थापित की जा सकती थीं, जिनकी सफाई नहीं भी होती तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन, जातियों के वोट साधने के लिए लगाई गई महापुरुषों की मूर्तियों को अब सिरोही में हर दिन इसी तरह धूल से अटे रहना है। ये हालात आज के हैं ऐसा नहीं है।

यहां पर सुभाषचंद्र वोस, अम्बेडकर, महात्मा गांधी आदि की मूर्तियां भी हैं, जिन पर जयंती पर चढ़ाई गई मालाएं उनके पुण्यतिथि पर और पुण्यतिथि पर चढाई गई मालाएं जयंती पर हटने के वाकये भी सामने आए हैं। इसके बाद भी सौंदर्यीकरण के नाम पर चौराहों पर महापुरुषों और समाजों के इष्टों की मूर्तियां स्थापित कर दी गईं।

जीर्णोद्धार के बाद सिरोही का सरजावावा दरवाजा।
जीर्णोद्धार के बाद सिरोही का सरजावावा दरवाजा।

-सरजावाव दरवाजे का लोकार्पण

सिरोही विधायक संयम लोढ़ा ने इन मूर्तियों के साथ सिरोही के सरजावाव दरवाजे का भी लोकार्पण किया। सरजावव दरवाजे को हेरिटेज स्टाइल में बनाकर पुनर्जीर्वित किया। इसके सामने चौराहे पर फौव्वारा भी लगाया गया है। रात को रोशनी में ये अलग छटा दे रहा है।