Home Gujarat Ahmedabad 45 मुमुक्षुओं ने सांसारिक चोला त्याग वीतराग अपनाया

45 मुमुक्षुओं ने सांसारिक चोला त्याग वीतराग अपनाया

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45 jain dikshas,   set a new record in surat

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सूरत। एक नया इतिहास सूरत की धरा पर सोमवार को रचा गया जब जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक के सैकड़ों गुरु-भगवंतों से एक साथ ३० श्राविकाएं, १४ श्रावक एवं एक १२ वर्ष के मुमुक्षू ने रजोहरण ग्रहण कर दीक्षा पूर्ण की। सभी मुमुक्षू रजोहरण ग्रहण करते ही खुशी से झूम उठे और कुछ देर बाद वे शुभ-श्वेत वस्त्रों में दिखे। इस मौके पर अध्यात्मनगरी में मौजूद हजारों श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गई।
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संयम सुवास परिवार की ओर से आयोजित ऐतिहासिक आठ दिवसीय संयम सुवास दीक्षा महामहोत्सव की पूर्णाहुति सोमवार दोपहर को हुई। इससे पूर्व सभी मुमुक्षू सुबह छह बजे गृह-आंगन से संयम वाटिका के लिए निकले और निर्धारित मुहूर्त वेला में दीक्षा की मंगल विधि प्रारम्भ की गई। इस दौरान पंडाल में पैर रखने को जगह नहीं थी, जितने हजार लोग पंडाल के अंदर थे,उससे अधिक पंडाल के बाहर और सड़कों पर थे। देश-विदेश से जैन समाज उमडा़ था।

 

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दीक्षा की मंगल विधि के दौरान आचार्य जिनचंद्र सूरी, आचार्य योगतिलक सूरी, आचार्य महाबल सूरी, आचार्य कुलचंद्र सूरी समेत अन्य गुरु भगवंतों ने एक-एक मुमुक्षू को रजोहरण का अर्पण किया। कुछ समय बाद ही सभी दीक्षार्थी अपने बदले हुए रूप में एक बार फिर पंडाल में नजर आए और इस दौरान वे शुभ्र-श्वेत वस्त्रों में अपने संयम उपकरणों को हाथ में थामकर पहुंचे। बाद में सभी की केशलोच व नामकरण विधि की गई। बाद में सभी मुमुक्षुओं ने गुरु भगवंतों के साथ विहार किया। इस दौरान खचाखच भरीअध्यात्मनगरी ने श्रद्धाभाव से उन्हें विदाई दी।

०० ये दीक्षार्थी मुमुक्षू
30 – श्राविकाएं
1४ – श्रावक
०1 – १२ वर्षीय बालश्रावक
17- दीक्षार्थी सूरत के-
०8- मुंबई के
०५ – अहमदाबाद के
०4 भाभर के मुमुक्षुओं के अलावा पुणे, नवसारी, चैन्नई, कोलकाता, राघनपुर, हालोल के 11 मुमुक्षू शामिल रहे।

पंडाल खचाखच, सड़कें जाम
आठ दिवसीय ऐतिहासिक संयम सुवास दीक्षा महामहोत्सव की पूर्णाहुति वेला का साक्षी बनने सोमवार तड़के मानो समूचा सूरत पीपलोद स्थित अध्यात्मनगरी की ओर उमड़ पड़ा। दीक्षा मंगल विधि आरम्भ होते-होते ढाई लाख वर्ग फीट में फैली अध्यात्मनगरी ही नहीं, बल्कि उमरा गांव रोड, एसवीएनआईटी सर्किल, गौरव पथ आदि लोगों और वाहनों से ढक गए।
522 वर्ष के इतिहास में जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक सैकड़ों गुरु-भगवंतों के सान्निध्य में महामहोत्सव की शुरुआत 24 नवम्बर से हुई और रविवार को ऐतिहासिक वर्षीदान शोभायात्रा निकली। शोभायात्रा के दौरान पूरा शहर थम गया। ऐसा ही नजारा रात को पंडाल में आयोजित संयम संवेदना कार्यक्रम के दौरान देखने को मिला। इसके बाद सोमवार सुबह दीक्षा मंगल विधि शुरू की गई।
दीक्षा के ऐतिहासिक पलों को देखने के लिए तड़के ही लोग अध्यात्मनगरी की तरफ निकल पड़े। पार्ले प्वॉइंट से आगे गौरव पथ तक वाहनों की लम्बी कतारें और उमरा गांव के मार्ग पर हजारों लोग पैदल चलते दिखे। पंडाल में जिसे जहां जगह मिली, वह वहीं जम गया और दीक्षा कार्यक्रम भले ही नहीं देखा, लेकिन उसका श्रवण लाभ घंटों खड़े रहकर लिया। संयम के सुवास से समाज और राष्ट्र को महकाने निकले मुमुक्षू की दीक्षा वेला पर संगीत की स्वर लहरियों के बीच ‘मोहे लागी लगन गुरु चरणन की… ‘हे राज मने लाग्यो संयम नो रंग… ‘आपो-आपो ओ आपो गुरुवर मने रजोहरण नो लाभ…समेत कई भक्ति गीत पंडाल में गूंजते रहे।

एक मौका यह भी आया कि हजारों श्रद्धालुओं ने खड़े होकर तालियों की गडग़ड़ाहट और जय-जयकार के साथ बाल मुमुक्षू भव्य तातेड़ के रजोहरण ग्रहण के क्षण का स्वागत किया। दीक्षा ग्रहण करने के बाद मंच से उतरे दीक्षार्थियों एवं उनके संयम उपकरणों के समक्ष हजारों श्रद्धालुओं के सिर श्रद्धा से झुक गए। ऐसा ही अवसर महामहोत्सव में दोबारा तब आया, जब सभी दीक्षार्थी बदले हुए रूप में नामकरण एवं अन्य विधि के लिए गुरु भगवंतों के साथ मंच पर आए।
नेटवर्क जाम
हजारों श्रद्धालुओं से खचाखच अध्यात्मनगरी सोमवार को कई घंटों तक नेटवर्क से बाधित रही। हजारों लोगों के मोबाइल फोन में से ऐसे बिरले ही थे, जिनकी अन्यत्र बात हो पाई। कई लोग पंडाल से बाहर आकर फोन मिलाने का प्रयास करते रहे, लेकिन इसमें सफल गिने-चुने हो पाए।
सर्विस रोड बना पार्किंग
गौरव पथ का सर्विस रोड महादीक्षा कार्यक्रम के दौरान सोमवार को दिनभर पार्किंग के रूप में ही दिखा। गौरव पथ के दोनों तरफ बने करीब 25 फीट चौड़े सर्विस रोड पर एक-एक किमी तक वाहनों की लम्बी कतार रही। कई वाहन
गौरव पथ भी खड़े रहे, जिन्हें ट्रैफिक पुलिस ने हटाया।
स्वामी वात्सल्य का लाभ
रविवार के बाद सोमवार को भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने स्वामी वात्सल्य का लाभ उठाया। आयोजक संयम सुवास परिवार और आयोजन समिति ने अध्यात्मनगरी के नजदीक ही इस आयोजन की व्यवस्था एक साथ 5-7 हजार लोगों के बैठने की रखी थी। स्वामी वात्सल्य का दौर सुबह से दोपहर बाद तक चला।
यूं चली दीक्षा विधि
समय                           कार्यक्रम
सुबह 7.55 बजे           गुरुवंदन एवं मिच्छामि दुक्कड़म
सुबह 8.10 बजे           गुरु भगवंतों का मंगलाचरण
सुबह 8.25 बजे           नवकार मंत्र
सुबह 8.45 बजे           मुमुक्षुओं ने किया नंदी सूत्र का श्रवण
सुबह 8. 55 बजे          वासानिक्षेप
सुबह 9.05 बजे           दीक्षा विधि का मुख्य आदेश
सुबह 9.15 बजे           मुमुक्षुओं के माता-पिता को बुलावा
सुबह 9.35 बजे           मुमुक्षुओं को रजोहरण अर्पण
सुबह 11.30 बजे     मुमुक्षुओं का केशलोच
दोपहर एक बजे            नामकरण विधि