Home Azab Gazab पाली में सैकड़ों साल बाद एक चमत्कार दोहराया

पाली में सैकड़ों साल बाद एक चमत्कार दोहराया

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पाली में सैकड़ों साल बाद एक चमत्कार दोहराया
sitla saptami 2016 : After hundreds of years to shift a miracle repeated in pali
sitla saptami 2016 : After hundreds of years to shift a miracle repeated in pali
sitla saptami 2016 : After hundreds of years to shift a miracle repeated in pali

पाली। राजस्थान के पाली जिले के भाटूंद स्थित शीतला माता मंदिर में शुक्रवार को एक बार फिर सैकड़ों साल बाद एक चमत्कार दोहराया गया।

शीतला सप्तमी के मौके पर मंदिर में माता की प्रतिमा के सामने स्थित वही आधा फीट गहरी और इतनी ही चौड़ी ओखली श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोली गई।

मान्यता के अनुसार गांव की करीब 800 से ज्यादा महिलाओं ने यहां 12 लीटर से ज्यादा क्षमता के पानी से भरे कलश इसमें उड़ेले लेकिन मजाल क्या कि ओखली से पानी छलक जाए।

करीब दो घंटे तक इसमें एक के बाद एक कलश खाली होते रहे। लेकिन वह पानी कहां गया, किसी को नहीं पता। इस ओखली को लेकर वैज्ञानिक स्तर पर कई शोध हो चुके हैं, मगर ओखली में भरने वाला पानी कहां जाता है, यह कोई पता नहीं लगा पाया है।

इसके बाद पुजारी ने प्रचलित मान्यता के तहत माता के चरणों से लगाकर दूध का भोग चढ़ाया तो पानी ओखली से छलका। माता के जयकारे लगाकर हर वर्ष की भांति फिर गांव में लोगों की खुशहाली की कामना करते हुए ढंक दिया।

ग्रामीणों के अनुसार करीब 800 साल से गांव में यह परंपरा चल रही है। ओखली से पत्थर साल में दो बार हटाया जाता है। पहला शीतला सप्तमी पर और दूसरा ज्येष्ठ माह की पूनम पर।

दोनों मौकों पर गांव की महिलाएं इसमें कलश भर-भरकर पानी डालती हैं। फिर अंत में दूध का भोग लगाकर इसे बंद कर दिया जाता है। इन दोनों दिन गांव में मेला भरता है।

मान्यता ऐसी :राक्षस पीता है

इस पानी को ऐसी मान्यता है कि आज से आठ सौ साल पूर्व बाबरा नाम का राक्षस था। इस राक्षस के आतंक से ग्रामीण परेशान थे।

यह राक्षस ब्राह्मणों के घर में जब भी किसी की शादी होती तो दूल्हे को मार देता। तब ब्राह्मणों ने शीतला माता की तपस्या की। इसके बाद शीतला माता गांव के एक ब्राह्मण के सपने में आई।

उसने बताया कि जब उसकी बेटी की शादी होगी तब वह राक्षस को मार देगी। शादी के समय शीतला माता एक छोटी कन्या के रूप में मौजूद थी।

वहां माता ने अपने घुटनों से राक्षस को दबोचकर उसका प्राणांत किया। इस दौरान राक्षस ने शीतला माता से वरदान मांगा कि गर्मी में उसे प्यास ज्यादा लगती है।

इसलिए साल में दो बार उसे पानी पिलाना होगा। शीतला माता ने उसे यह वरदान दे दिया। तभी से यह मेला भरता है। भाटूंद के शीतला माता मंदिर में बनी इस ओखली का पानी जाता कहां है, इस पर पहले भी शोध हुए। अब भी यह वैज्ञानिकों के लिए पहेली ही है।