अजमेर : रूठों को मनाने में कांग्रेस ने बाजी मारी, भाजपा बुरी तरह पिछडी

अजमेर। लोकसभा चुनाव में नामांकन भरने और चुनाव कार्यालय खोलने के मुकाबले में अजमेर में भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी भले ही बराबरी वाले मुकाबले में रहे। लेकिन रूठों को मनाने और बागियों की घर वापसी में कांग्रेस ने बाजी मार ली तथा भाजपा बुरी तरह पिछड गई।

मंगलवार को कांग्रेस प्रत्याशी रामचंद्र चौधरी के मुख्य चुनाव कार्यालय का राजहंस वाटिका में जोश खरोश के साथ उदघाटन हुआ। इस मौके पर कांग्रेस का समूचा कुनबा जुटा। रूठे और बागियों को भी मंचासीन कर बराबरी का दर्जा देकर चौधरी ने चुनावी समर का एक बडा किला फतह कर लिया। बरसों बाद अजमेर उत्तर व दक्षिण के साथ देहात के नेता और पदाधिकारी एक पांडाल के नीचे एकत्र आए। यह बात अलग है कि मंच से भाषण का मौके मिलने पर कुछ रूठों और हारने वालों का दर्द ईशारे ईशारे में जुबां से बाहर आ गया।

नसीराबाद से विधानसभा चुनाव हारे कांग्रेंस प्रत्याशी शिवप्रकाश गुर्जर ने रामचंद्र चौधरी को सीधे तौर पर कहा कि उन्होंने उनके विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की जो मिटिंग ली उसमें निमंत्रण तक देने लायक तक नहीं समझा। गुर्जर ने कहा कि मुझे बुलाते तो हो सकता था मिटिंग दमदार होती। यानी गुर्जर को मलाल है कि रामचंद्र ने सबकों न्योता भेजा लेकिन ​शिवप्रकाश को किनारे कर दिया। यह सब किसके ईशारे पर हुआ यह सवाल अब भी अनुत्तरित है।

टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस से बागी होकर पुष्कर से निर्दलीय ताल ठोंकने वाले गांधीवादी नेता श्रीगोपाल बाहेती की घर वापसी हो गई। वे भले ही जीत ना सकें हो पर पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी नसीम अख्तर की हार का एक कारण वे भी माने जाते हैं। यही वजह रही कि नसीम ने भावुक होकर कहा कि कांग्रेस को भाजपा नहीं हराती। कांग्रेस को कांग्रेस वाले ही हराते हैं। हां, मसूदा से वाजिद चीता जरूर पार्टी में वापस लिए जाने से गदगद नजर आए। उन्होंने तो मंच से इसके लिए रामचंद्र चौधरी, धर्मेन्द्र सिंह राठौड, विजय जैन समेत कई नेताओं का तहे दिन से आभार जताया।

अब बात भाजपा की करें तो एक बात साफ हो चुकी है कि पार्टी में लोकसभा चुनाव को लेकर अपनों को मनाने और दूसरी पार्टियों को आयातित करने का सिलसिला थम सा गया है। अजमेर उत्तर में वासुदेव देवनानी शायद बागी ज्ञानचंद सारस्वत के दिए दर्द को नहीं भुला सकें हैं। सारस्वत बागी हुए लेकिन उनका विचार और निष्ठा नहीं बदली। इसके बावजूद उनकी घरवापसी में असल बाधा कौन बन रहा है?

इसी तरह अजमेर दक्षिण से विधायक अनीता भदेल ने बीते दिनों पार्टी की बैठक में जो तेवर दिखाए थे उसके अनुरूप उन्होंने जिला उपाध्यक्ष घीसू गढवाल को निपटवा दिया। भदेल बेबाकी से कहती रही हैं कि गढवाल ने विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें हरवाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोडी थी। गढवाल अब बिना दायित्व वाले होकर घूम रहे हैं। इसी तरह बीते विधानसभा चुनाव में आनंद सिंह राजावत, ज्ञान सारस्वत, जेके शर्मा, सुभाष काबरा जैसे अनेक नेता बागी तो हो गए लेकिन अपनी विचारधारा नहीं त्याग पाए। लेकिन उनका वनवास अब तक खत्म नहीं हुआ।

इसी तरह पुष्कर से जीते सुरेश रावत और मुश्किलों का पहाड खडे करने वाले अशोक रावत के बीच गिले शिकवे जस के तस बने हुए हैं। सूत्र बताते हैं कि खुद प्रत्याशी भागीरथ चौधरी सोमवार सुबह व्यक्तिगत स्तर पर अशोक रावत के घर पहुंचे, उन्हें पूरे सम्मान के साथ भाजपा में वापसी के लिए राजी भी कर लिया। दिन चढने के साथ जैसे ही यह खबर सुरेश रावत तक पहुंची उन्होंने अपने तरकश से तीर छोडने शुरू कर दिए। पुष्कर भाजपा के कई मंडल अध्यक्षों की बौंहे तन गई। भागीरथ चौधरी के प्रयासों का नतीजा सिफर हो गया।

किशनगढ में भागीरथ चौधरी की गलफांस बने निर्दलीय चुनाव लडे सुरेश टांक के कारण बागी विकास चौधरी की जीत हुई। यहां चौधरी के लिए हार से गहरा जख्म चुनाव में तीसरे नंबर पर रहना रहा। टांक की घर वापसी के बावजूद चले नाटकीय घटनाक्रम का पटाक्षेप मंगलवार को तब हुआ जब वे भागीरथ चौधरी की नामांकन सभा में मंच पर सबसे कोने की कुर्सी पर शारीरिक रूप से अनमने होकर बैठै नजर आए लेकिन दिल से जुडने की कसौटी पर खरा उतरना बाकी है।

बहरहाल लोकसभा प्रत्याशी भागीरथ चौधरी ने चुनाव कार्यालय खोलने और नामांकन सभा के दौरान अपनी तरफ से दम दिखाने में कमी नहीं रखी। प्रदेश स्तर से लेकर कई बडे नेता उनके बुलावे पर दौडे चले आए। गांवों और देहात से भीड जुटाने में भी वे कांग्रेस के प्रत्याशी रामचंद्र चौधरी के मुकाबले अव्वल रहे। लेकिन अजमेर उत्तर और दक्षिण में रूठे बागियों और पार्टी पदाधिकारियों की सम्मानजनक घरवापसी ना होना उनके लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा।

अजमेर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस का रहा है दबदबा

अजमेर लोकसभा क्षेत्र में अब तक हुए लोकसभा चुनावों में सर्वाधिक नौ बार बाजी मारकर अपना दबदबा रखा हैं। लोकसभा आम चुनाव-2024 के तहत अजमेर लोकसभा क्षेत्र में दूसरे चरण में आगामी 26 अप्रैल को मतदान कराया जाएगा। यहां भाजपा से सांसद भागीरथ चौधरी को फिर से उम्मीदवार बनाया गया है जबकि कांग्रेस ने नया चेहरे अजमेर डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है।

अजमेर लोकसभा क्षेत्र में एक उपचुनाव सहित अब तक 17 चुनाव हो चुके हैं और इनमें कांग्रेस नौ बार, भाजपा सात बार जबकि लोकदल एक बार चुनाव जीता है। वर्ष 1957 एवं 1962 में कांग्रेस के मुकुटबिहारी लाल भार्गव ने चुनाव जीता। इसके बाद 1967 एवं 1971 में कांग्रेस के विश्वेश्वर नाथ भार्गव चुनाव जीते। लगातार चार बार कांग्रेस की जीत को वर्ष 1977 में लोकदल प्रत्याशी श्रीकरण शारदा ने तोड़ा और सांसद निर्वाचित हुए।

वर्ष 1980 एवं 1984 के लोकसभा चुनाव में जीत फिर कांग्रेस के खाते में गई और 1980 में कांग्रेस के आचार्य भगवान देव तथा 1984 में विष्णु मोदी ने चुनाव जीता। इसके बाद वर्ष 1989, 1991 एवं 1996 में भाजपा के रासा सिंह रावत ने जीत की हैट्रिक बनाई। इसके बाद वर्ष 1998 में कांग्रेस की डा. प्रभा ठाकुर ने चुनाव जीता। इसके बाद रावत ने वर्ष 1999 एवं 2004 में फिर लगातार दो बार यहां से लोकसभा चुनाव जीता। रावत अजमेर से सर्वाधिक पांच बार सांसद रहे।

वर्ष 2009 के चुनाव में कांग्रेस के युवा सचिन पायलट ने भाजपा की किरण माहेश्वरी को हराकर भाजपा की जीत को रोकने में सफलता हासिल की। वर्ष 2014 में भाजपा से प्रोफेसर सावंरलाल जाट ने भाजपा के पक्ष में परचम फहराया। लेकिन बाद में जाट के निधन होने के बाद वर्ष 2018 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने फिर बाजी मार ली और कांग्रेस डा. रघु शर्मा ने उपचुनाव जीता। वर्ष 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने उद्योगपति रिजु झुंझुंनवाला को भाजपा के भागीरथ चौधरी के सामने चुनाव मैदान में उतारा लेकिन झुंझुंनवाला चौधरी के सामने चुनाव हार गए। इस बार भाजपा ने चौधरी पर फिर भरोसा जताया है। हालांकि चौधरी गत विधानसभा चुनाव हार चुके हैं।